शी चिनफिंग (Xi Jinping) और जो बाइडन (Joe Biden) ने सोमवार को अपनी वार्ता के बाद सैन फ्रांसिस्को में चीन-अमेरिका संबंधों को स्थापित करने के लिए एक महत्वपूर्ण मुलाकात की। इस मुलाकात को अमेरिकी और चीनी मीडिया में “इकोनॉमिक रिजेनस” के रूप में बताया गया है। यह मुलाकात पिछले एक वर्ष में बीते सबसे महत्वपूर्ण संवाद मानी जा रही है।
इस मुलाकात का मुख्य उद्देश्य है अमेरिका और चीन के रिश्तों को स्थायी बनाना है। जबकि दोनों नेताओं के पास विवादित मुद्दों को सुलझाने की आवश्यकता भी है। बाइडन इस मुलाकात में ईरान के साथ बीजिंग के रिश्तों और मानवाधिकार संबंधी चिंताओं को भी उठाने के लिए तैयार हैं। वह चाहते हैं कि चीन अपने प्रभाव का उचित इस्तेमाल करके ईरान और इजराइल के बीच तनाव को हल करने में मदद करे। शी इसके बाद इन समस्याओं को कैसे हल करने के बारे में सोचेंगे, यह उनके बगीचे में है।
कई विशेषज्ञ इस मुलाकात को अमेरिका के चीन-प्रेमी राष्ट्रपति की नई शुरुआत के रूप में देख रहे हैं। दोनों नेताओं ने रिश्तों को स्थायी करने की इच्छा जाहिर की है। वे दुनिया को यह दिखाना चाहते हैं कि अमेरिका और चीन आर्थिक प्रतिद्वंद्वी होने के बावजूद सहयोग में हैं।
यह मुलाकात सभी देशों के लिए महत्वपूर्ण है, खासकर भारत के लिए क्योंकि भारत चीन विवाद के चलते अमेरिका का प्रमुख संबंधित समर्थक बन गया है। चीन के प्रति विपक्षी रणनीतिक सहयोग के मामले में भारत अमेरिका के विशेष स्थान पर है। कुछ वक्त पहले दोनों देशों के बीच खुदरा पारिस्थितिकीय जूनून ने तनाव को ताजगी दी है।
एक प्रमुख मुद्दा है चीन और ईरान के बीच हमारे द्विपक्षीय रिश्तों को लेकर। शी चीन को ईरान का हितैषी मानते हैं, जो हमास का बड़ा समर्थक है। जो बाइडन की ओर से यहां तक कहा गया है कि ईरान को चीन के प्रभाव से दूर रखने के लिए चीन को राष्ट्रपति को दबाव डालना चाहिए। इस मुलाकात से पहले यह यहां भी कहा गया था कि शी ईरान के हमास समर्थन को बढ़ावा नहीं देना चाहिए।
मुलाकात के बाद भी दोनों नेताओं की नजर करीबी आपसी संबद्धता के प्रति इस बात पर रहेगी कि वे अपने संबंधों को आगे बढ़ा सकें। यह मुलाकात एक सफलतापूर्वक समाप्त हो चुकी है और एक नया द्विपक्षीय संवाद का द्वार खोल चुकी है।
“Zombie enthusiast. Subtly charming travel practitioner. Webaholic. Internet expert.”