गाजा की हेल्थ मिनिस्ट्री ने इजरायल और हमास की जंग में हुए लोगों के मारे जाने का दावा किया है। इसमें से अधिकांश महिलाएं और बच्चे हैं। हेल्थ मिनिस्ट्री के अनुसार, गाजा में इस लड़ाई में 17 हजार से अधिक लोग मारे जा चुके हैं।
इजरायल की सेना IDF (Israel Defense Forces) आबादी और तमाम सुरंगों के मद्धें आतंकियों को पहचानने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग कर रही है। हाल ही में IDF ने गाजा के सुरंगों में छिपे आतंकियों और गोला-बारूद को निशाना साधने के लिए इस AI का इस्तेमाल शुरू किया है। इस AI सिस्टम को הסבורה (Hasbara) भी कहा जाता है, जिसका हिब्रू में अर्थ है- द गॉस्पल। इजरायली सेना इस नई गॉस्पल तकनीक के माध्यम से आतंकियों की पहचान करने में मदद प्राप्त कर रही है।
गाजा के अच्छे माहौल में, IDF ने 13 सुरंगों का जाल फैलाया हुआ है और इसे मजबूत कंक्रीट से बनाया गया है। IDF इसे तबाह करने के लिए काम कर रही है और AI सिस्टम को मशीन लर्निंग एल्गोरिदम पर आधारित किया गया है। इस AI सिस्टम का उपयोग करके IDF युद्ध क्षेत्र में हमला करने वाले आतंकियों के बारे में जानकारी जुटा रही है। यह सिस्टम इंसानों और मशीनों की लड़ाई को बदल सकता है और युद्ध को ऑटोमेटेड कर सकता है।
हालांकि, नॉन-प्रॉफिट कंपनी एयरवॉर्स (Airwars) कहती है कि मशीन लर्निंग खतरनाक हो सकता है क्योंकि यह गलत डेटा भी दे सकता है, जिससे सिविलियन कैजुएलिटी हो सकती है। भारत के अलावा अमेरिका, चीन, और रशिया जैसे कई अन्य देशों ने भी मिलिट्री AI पर काम किया है। अमेरिका में जैसा कि हम सभी जानते हैं, इसका बहुत बड़ा इस्तेमाल किया जा रहा है। चीन में भी ऐसे ही कई परियोजनाएं चल रही हैं जो मशीन लर्निंग और AI का उपयोग करके युद्ध में मदद कर रही हैं। रशिया में भी एक रोबोटिक कॉम्बेट सिस्टम है, जो मशीनों को साथ में लड़ाई करने के लिए बनाया गया है।
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