हेपेटाइटिस बी और सी लिवर को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाते हैं और लिवर कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं। वायरल हेपेटाइटिस की इंफेक्शन से ग्रस्त लोगों में लिवर कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। अनुमानों के मुताबिक, वर्तमान में विश्व भर में करीब 40 मिलियन लोग हेपेटाइटिस-बी के संक्रमित हैं और 5 मिलियन लोग हेपेटाइटिस-सी के संक्रमित हैं। ये नंबर बिलकुल भी कम नहीं हैं और ये संक्रमण बढ़ रहे हैं।
हेपेटाइटिस की अधिक प्रमुखता टेस्टिंग के दौरान होती है, इसलिए सतर्कता बहुत जरूरी है। अगर किसी को हेपेटाइटिस के संक्रमण के लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे ज्वर, उबकाई, थकान, इत्यादि, तो उसे तत्काल ही जाँच के लिए डॉक्टर के पास जाना चाहिए। हेपेटाइटिस की जाँच के लिए रक्त परीक्षण और लिवर फंक्शन टेस्ट किए जाते हैं जिनसे हेपेटाइटिस के संक्रमण की पुष्टि की जा सकती है।
हेपेटाइटिस बी और सी से पीड़ित लोगों में लिवर कैंसर का आमतौर पर खतरा होता है। हेपेटाइटिस संक्रमण के कारण होने वाले लिवर कैंसर के मरकर आँकड़ों के मुताबिक, लगभग 75% से अधिक मामलों में हेपेटाइटिस संक्रमण होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2030 तक हेपेटाइटिस संक्रमण को 90% और मौतों को 65% तक कम करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए उन्होंने एक विश्व योजना बनाई है जिसका उद्देश्य है हेपेटाइटिस बी और सी के खिलाफ लोगों को जागरूक करना और उन्हें जरूरी आवश्यकताओं के बारे में जानकारी देना।
हेपेटाइटिस के कारण वायरल हेपेटाइटिस, शराब से संबंधित रोग और फैटी लीवर आमतौर पर होते हैं। वायरल हेपेटाइटिस बी, सी, डी, ई संक्रमण या जीवाणु जनित रोग हो सकते हैं। हेपेटाइटिस डी की रोकथाम के लिए एक अनुमोदित टीका उपलब्ध नहीं है, इसलिए संक्रमण और बढ़ने से बचने के लिए लोगों को हेपेटाइटिस बी के टीके लगवाने की जरूरत होती है। हेपेटाइटिस ई के कारण होने वाला पीलिया कुछ हफ्तों के भीतर ठीक हो जाता है, लेकिन उपचार की जरूरत हो सकती है।
इसलिए, हेपेटाइटिस संक्रमण और इसके खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाना बहुत महत्वपूर्ण है। यह संक्रमण बहुत आम हो गया है और इसकी रोकथाम और नियंत्रण के लिए सक्रिय कदम उठाने आवश्यक हैं। एक आदर्श देश का निर्माण करने के लिए, हमें लोगों केवल इसे रोकने के लिए ही नहीं बल्क संक्रमण के खतरे के बारे में जागरूक होना चाहिए ताकि हम इसे पूरी तरह स्वयं से दूर कर सकें।