चीन के विवादित नक्शे को लेकर अब जापान भी भारत का समर्थन करने वाले देशों की सूची में शामिल हो गया है। जापान ने चीन के स्टैंडर्ड मैप का विरोध किया है। चीन ने इस साल अपना ऑफिशियल स्टैंडर्ड मैप जारी किया है, जिसमें भारत के अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को भी चीन का हिस्सा दिखाया गया है। इसके बाद से चीन के विस्तारवादी मंसूबों पर भारत समेत कई देश भड़के हुए हैं।
जापान के मुख्य कैबिनेट सचिव हिरोकाजू मात्सुनो ने बताया कि पिछले महीने चीन ने जो नया नक्शा जारी किया है, उस पर कड़ी आपत्ति जाहिर की है। टोक्यो ने चीन से नक्शे को वापस लेने को कहा है क्योंकि इसमें चीन ने जापान के ओकिनावा प्रांत के सेनकाकू द्वीप पर अपना दावा किया है। मात्सुनो ने कहा है कि यह द्वीप जापान का अभिन्न हिस्सा है, और जापान के लिए ऐतिहासिक महत्व रखता है।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने जापान के दावों का खंडन किया है, कहा है कि दियाओयू द्वीप और उसके आसपास के द्वीप चीन के अधिकार क्षेत्र का हिस्सा है। फिलीपींस, मलेशिया, वियतनाम और ताइवान ने भी चीन के नए मैप का विरोध किया है। ताइवान ने चीन के नए मैप का पुरजोर विरोध किया है, चीन के मैप में ताइवान को शामिल किया गया है, जबकि ताइवान बिल्कुल भी चीन का हिस्सा नहीं है। वियतनाम, मलेशिया और फिलीपींस ने भी चीन के नये मैप का विरोध किया है।
इन खबरों के बाद से चीन और उनके विस्तारवादी मंसूबों पर विश्वभर में कड़ी आपत्ति जाहिर हो गई है। अब जापान ने भी चीन के नक्शे का विरोध किया है और यह भारत के समर्थन में जुड़ने वाले देशों की सूची में शामिल हो गया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने तो ये दावे खंडन किए हैं, लेकिन बहुत से देशों ने इस विवादित मुद्दे का समर्थन किया है और इसे गंभीरता से लगातार प्रशासनिक और वाणिज्यिक मामलों में उठा रहे हैं। जहां भारत इस मुद्दे में चीन के खिलाफ अपना रुख जमाना चाह रहा है, वहीं मलेशिया, फिलीपींस, वियतनाम और ताइवान जैसे देश भी चीन के प्रशासनिक दावों का विरोध करते हुए दिख रहे हैं।
यही नहीं, जापान के समर्थन के बाद से चीन के मापदंड मानने वाले देशों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। फिलीपींस, मलेशिया, वियतनाम और ताइवान के बाद अब जापान भी चीन के इस कदम का खंडन कर रहा है। यह विवादित मामला अब इस्ट एशियाई क्षेत्र में गहराई तक फैल चुका है और चीन को काफी तनाव में डाल दिया है। इस विवादित नक्शे के माध्यम से चीन इस बात का दावा कर रहा है कि ये द्वीप उनके ही हक में शामिल हैं, जबकि इन द्वीपों का अधिकारभुत भूगोलीय और ऐतिहासिक ज्ञान के आधार पर जापान के हक में पाया जाता है।
अब जापान के समर्थन के बाद से चीन के विवादित मानचित्र के खिलाफ यह सबसे बड़ी खरीदारी है। सोशल मीडिया पर लोग इस मुद्दे पर खूब चर्चा कर रहे हैं और यह आशा करते हैं कि प्रशासनिक और वाणिज्यिक बाधाओं के चलते इस मामले का समाधान शीघ्र हो। अगले दिनों में यह देखा जा सकेगा कि इस मुद्दे में भारत के समर्थन में जुड़े और चीन के स्टैंडर्ड मैप के विरोध में आगे आए देश कौन-कौन से होते हैं।
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