श्रीलंका के क्रिकेट बोर्ड सदस्यता सस्पेंड कर दी गई है। इस फैसले के पीछे का कारण यह है कि बोर्ड का खिलाड़ियों की शर्मगाह व्यवस्था पर ध्यान नहीं देने का आरोप है। पिछले दिनों ही श्रीलंका के पूर्व कप्तान अर्जुन रणतुंगा ने यह खुलासा किया था कि जय शाह ही श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड को चला रहे हैं।
रणतुंगा ने जय शाह के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं जिनमें यह दावा किया गया कि बोर्ड खिलाड़ियों की हिफाजत नहीं कर रहा है। उनके मुताबिक बोर्ड में खिलाड़ियों की नीतियों का पालन सही ढंग से नहीं हो रहा है और उनकी सुरक्षा का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। इसके साथ ही, उनके कहने के अनुसार जय शाह ही श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड को अपने हवाले कर रखा है और घटनाक्रमों का निर्णय लेने की पूर्ण शक्ति और अधिकार रखते हैं।
इन गंभीर आरोपों के बाद आईसीसी (International Cricket Council) ने श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड की सदस्यता को रद्द कर दिया है। इससे यह मतलब हो जाता है कि अब श्रीलंका की टीम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैचों में नहीं खेल सकेगी। इससे पहले भी इंटरनैशनल मैचों में पाकिस्तान की टीम को सस्पेंड कर चुका है था।
श्रीलंका के क्रिकेट बोर्ड का सस्पेंशन काफी चर्चा का विषय है। यह खासकर उन खिलाड़ियों के लिए एक पीड़ादायक कार्य है जो अपनी देश का मान जगाने के लिए मेहनत कर रहे हैं और अब इस परिस्थिति के कारण मैचों से वंचित होने का सामना कर रहे हैं। अब इससे उन खिलाड़ियों का ईमानदारी से एक जीवनयापन का सवाल हो रहा है कि क्या उन्हें ईमानदार रोजगार मिलेगा या नहीं।
इसके अलावा, यह फैसला क्रिकेट के प्रशंसकों को भी हमेशा की तरह ही दुखी कर देगा। इंटरनेशनल मैचों में श्रीलंका की टीम यदि नहीं खेलेगी तो फैन्स को उस दर्शाने का चांस नहीं मिलेगा और वो इससे वंचित रहेंगे।
सोचने वाली बात है कि कैसे इंटरनैशनल क्रिकेट में श्रीलंका की पहचान को एक बड़ी कमी पहुंचेगी और क्रिकेट संघों को इस मुद्दे को तेजी से संभालनी चाहिए।
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