पाकिस्तान में आम चुनाव की तारीखों का ऐलान किया गया है। चुनाव आयोग ने सूची जारी की है और चुनाव जनवरी 2024 के आखिरी हफ्ते में होंगे। यह लंबा राष्ट्रीय और स्थानीय नेताओं के लिए महत्वपूर्ण मोर्चा है। चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक पार्टियों को आगामी आम चुनाव में भाग लेने के लिए तैयार होने की सलाह दी है।
नौ अगस्त को पाकिस्तानी संसद भंग कर दी गई है। यह न केवल देश के राजनीतिक संकट की स्थिति को दर्शाता है, बल्कि पाकिस्तान की राजनीति में चल रहे आपसी मतभेदों की वजह से भी है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने संसद के भंग की सिफारिश की थी, जिसे अंग्रेजी मुहावरे के रूप में ‘वानिंग ऑफ डेमोक्रेसी’ कहा जाता है। इससे पहले भी पाकिस्तान में सरकारों का कार्यकाल पूरा नहीं होने का इतिहास है।
सेना का दखल और सरकारी संस्थानों पर जनता का अविश्वास यहां का मुख्य कारण है। पाकिस्तान में सेना कई बार सत्ता की कुर्सी पर कब्जा कर चुकी है। इसके अलावा, कई बार हुकूमती संगठनों में भ्रष्टाचार और बेईमानी के मामलों की खबरें सामने आई हैं। इसलिए, जनता अब सरकारी संस्थानों के प्रति एक तरह से अविश्वासप्रवृत्त हो गई है।
चुनाव आयोग की अब यही जिम्मेदारी है कि वह स्वच्छ और सुचारू चुनाव आयोजित करे और न्यायपूर्ण नतीजों को सुनिश्चित करे। जबकि राजनीतिक दलों को मरम्मत करने की जरूरत होगी ताकि वे बामपंथी ताकतों और हुकूमती संगठनों का चंगुल न बनें। तभी पाकिस्तानी जनता को सत्ता का विश्वास बढ़ेगा और देश की विकास में मदद मिलेगी।
अब सबकी नजरें 2024 के चुनाव पर हैं, जहां पाकिस्तान की राजनीति की किस्मत तय होगी। यह चुनाव साबित हो सकता है कि पाकिस्तान देश में लोगों की आशाएं कितनी बड़ी हैं और वह बदलाव को वास्तविकता में देश के लिए लाने में सक्षम हैं या नहीं। इससे पूरे देश का भविष्य निर्भर होगा।
“यह लेख ‘E-Postmortem’ पर प्रकाशित हुआ है।”
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