टमाटर की कीमतें घटी हैं, लेकिन तुअर दाल की कीमतें बढ़ सकती हैं। टमाटर के बाद अब तुअर दाल के दामों में भी इजाफा हो सकता है। भारत की तुअर दाल की आपूर्ति के लिए, अफ्रीकी देशों से आयात करने की योजना बन रही है। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के मुताबिक, मोजाम्बिक द्वारा तुअर दाल की निर्यात पर न्यूनतम मूल्य लागू किया गया है। भारत में तुअर दाल की खपत में बढ़ोतरी की उम्मीद है।
तुअर दाल के दामों में अंतर एवं महंगाई के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। इसके पीछे कई कारक हैं। पहले, टमाटर की कीमतें गिर गई हैं जिसका कारण बाढ़ीदार मौसम और उत्पादन की बढ़ोतरी है। इससे टमाटर की कीमतें घटी हैं और लोगों ने टमाटर की खरीद पर कमी देखी है। इसलिए तुअर दाल की मांग बढ़ने के बाद, उसकी कीमतें बढ़ सकती हैं।
दूसरे कारण के रूप में, भारत तुअर दाल की आपूर्ति के लिए अफ्रीकी देशों से आयात करने की योजना बना रहा है। अफ्रीकी देशों में तुअर दाल की पैदावार अच्छी होने के कारण भारत इसे आयात करना चाहता है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत में टुअर दाल की मुख्यता 90% आपूर्ति घरेलू उत्पाद से होती है, जो मुख्य रूप से महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, गुजरात और कर्नाटक में उत्पादित होती है।
तीसरे कारण के रूप में, मोजाम्बिक द्वारा न्यूनतम मूल्य प्रणाली को लागू किया गया है। भारत की तुअर दाल को मोजाम्बिक से आयात करने पर लागू न्यूनतम मूल्य द्वारा उन्नति मिलेगी। इससे उसकी मांग में वृद्धि हो सकती है और तुअर दाल की कीमतें भी बढ़ सकती हैं।
चौथे कारण के रूप में, भारत में तुअर दाल की खपत में वृद्धि की उम्मीद है। तुअर दाल को भारतीय रसोई घरों में अक्सर उपयोग किया जाता है और इसलिए इसकी खपत में वृद्धि की उम्मीद है। ऐसे में उत्पादकों को तुअर दाल की उत्पादन बढ़ाने के लिए सक्षम बनना होगा ताकि मार्केट में पुरुषोत्पादन बढ़ा सके और दामों में अंतर कम हो सके।
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