पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी ने अपनी बेटी आसिफा को देश की फर्स्ट लेडी बनाने का फैसला किया है। इस फैसले ने संवैधानिक जनता में विवाद पैदा किया है क्योंकि इसे लेकर कई सवाल उठे हैं। आसिफा भुट्टो ज़रदारी ने राजनीति में अपना कदम रखा है और देश की सबसे कम उम्र की फर्स्ट लेडी बन गई हैं।
राष्ट्रपति के साथ ही फर्स्ट लेडी को भी स्वास्थ्य और समाजिक कार्यक्रमों में सक्रिय रहना पड़ता है। इस फैसले से पहले दूसरे देशों में भी ऐसे मामले आम थे, जहां राष्ट्रपतियों ने अपनी बेटियों और बहनों को फर्स्ट लेडी के रूप में नियुक्त किया था।
आसिफा की दादी नुसरत भुट्टो और बड़े भाई बिलावल भुट्टो ज़रदारी भी राजनीति में सक्रिय हैं और मामूली उम्र में ही जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। इस निर्णय से समाज में विवाद उत्पन्न हो रहा है क्योंकि लोगों के मन में इस निर्णय को लेकर भावनात्मक विचार है।
आसिफा को देश की फर्स्ट लेडी बनाए जाने से उन्हें राष्ट्रपति के पूर्वाधिकारिता का लाभ भी मिलेगा और वे समाज की भलाई के लिए अधिक कार्यकर्म कर सकेंगी। आसिफा भी इस उत्तरदायित्व को संभालने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं और वे अपने पिता की अपेक्षाओं को पूरा करेंगी।
इस प्रकार, राष्ट्रपति और उनके परिवार के सदस्यों के बीच की यह नई घटना समाज में उत्सुकता और विरोध दोनों भावनाओं को उत्पन्न कर रही है। लोग इस मामले पर अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं और यहां तक कि सोशल मीडिया पर भी इस निर्णय को लेकर ट्वीट्स और पोस्ट्स हो रहे हैं।
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