भारतीय वायुसेना ने हाल ही में अपने नवीनतम हेरॉन मार्क 2 ड्रोन का प्रकाशन किया है। यह ड्रोन मिसाइल से लैस किया गया है और इसे चीन और पाकिस्तान की सीमाओं की निगरानी के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा। यह ड्रोन सैटलाइट कम्युनिकेशन क्षमता के साथ लैस किया गया है और लेजर टेक्निक से दुश्मन के ठिकानों को चिह्नित करने में भी सक्षम है। इसकी मदद से वायुसेना द्वारा चीन और पाकिस्तान की सीमाओं की मोनिटरिंग की जा सकेगी। इस ड्रोन के अंतर्गत लगभग 70 रोबोटिक ड्रोन सशक्त किए जाएंगे।
यह ड्रोन वायुसेना के अलावा नौसेना और सेना को भी दिए जाएंगे। वायुसेना को इसके साथ-साथ 31 प्रीडेटर ड्रोन भी मिलेंगे, जबकि नौसेना के पास 15 ड्रोन होंगे। साथ ही, अलग-अलग सेनाओं को बढ़ावा देने के लिए 8-8 ड्रोन भी दिए जाएंगे। इससे न केवल सेना की ऊर्जा का खपत कम होगा, बल्कि भारत की सुरक्षा तंत्र को भी नया मोड़ मिलेगा।
इन ड्रोन की तकनीकी ज्ञान के साथ, भारतीय सुरक्षा के मामले में भी यह एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके लिए वायुसेना ने आपूर्ति और प्राथमिकता को हाथ में लिया है और इन ड्रोन के निर्माण और उनके तकनीकी सपोर्ट में उच्चतम मानक को बरकरार रखा है।
इसके साथ ही, वायुसेना ने अपने सामरिक और निगरानी क्षेत्र में भी अग्रगामी कदम उठाये हैं। इन ड्रोन की मदद से सेना द्वारा हमेशा निगरानी की जा सकेगी और सबसे नवीनतम हथयारों से लैस किया जा सकेगी। इससे न केवल मौजूदा हांगकांग परिस्थितियों को समझा जा सकेगा, बल्कि इससे भारतीय सेना की ताकत और प्रभावशीलता भी बढ़ेगी।
इन सभी विवरणों के पढ़ने के बाद, यह खोज कहीं न कहीं भारत के सशक्त होने की प्रतीति दिला देती है। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जिससे भारत की सुरक्षा में और स्वयं की सुरक्षा में विश्वास को इजाफा मिलेगा।
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