शोधकर्ताओं ने चिकनगुनिया के टीके के विकास की ओर कदम बढ़ाए हैं। चिकनगुनिया एक मॉस्किटो बोर्न बीमारी है जिससे गंभीर प्रभावित हो सकते हैं। इस बीमारी के टीके के विकास की ख़बर सुनकर लोगों में नयी उम्मीदों की रौशनी जग उठी है।
शोध के मुताबिक, चिकनगुनिया वायरस की अदृश्यता ढाल से टीके का विकास संभव है। इस संबंध में शोधकर्ता टीम ने वायरस कोशिका से कोशिका में फैलाने की संभावना सिद्ध की है। अध्ययन में यह पता चला है कि वायरस एक मेजबान कोशिका के साइटोस्केलेटन को हाईजैक करता है और संक्रमित कोशिका को असंक्रमित पड़ोसी कोशिकाओं के साथ संपर्क बनाता है। इस बात से साफ होता है कि वायरस कोशिका में फैल सकता है और इसकी मात्रा कणों में बढ़ सकती है।
शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन की प्रमुख उपाधि के रूप में आइएलईएस (Antibody-Dependent Enhancement) को नाम दिया है, जो चिकनगुनिया वायरस के लिए एक ढाल का काम करता है। इसके लिए शोधकर्ताओं ने चूहों पर चिकनगुनिया संक्रमण का अध्ययन किया। इन चूहों पर शोध करने के बाद पाया गया कि चूहों को चिकनगुनिया संक्रमित नहीं हुआ, जब उन्हें निष्क्रिय करने वाले एंटीबाडी का टीका लगाया गया।
शोध के कारण ऐसा संभावित है कि ये विज्ञानी अब चिकनगुनिया संक्रमण के लक्षणों को देखभाल करने में मदद कर सकते हैं। इससे चिकनगुनिया बुखार का टीका तथा उपचार विकसित करने में आगे की प्रगति की जा सकती है।
चिकनगुनिया का टीके के विकास की ये प्रगति हमारे लिए एक बड़ी खुशख़बरी है। चिकनगुनिया संक्रमण के बारे में विग्यानिक शोधों के बाद से ही लोगों में उम्मीद जगी हुई थी। चिकनगुनिया एक ऐसी बीमारी है जो मॉस्किटोज़ द्वारा फैलती है और संक्रमण से लोगों की सेहत को बहुत नुक़सान पहुंचता है। चिकनगुनिया संक्रमण से छुटकारा पाने के लिए शोधकर्ताओं द्वारा किये गए इस अध्ययन का महत्वपूर्ण योगदान है।
दूसरी ओर इस ख़बर से यह भी दिखता है कि विज्ञानियों ने चिकनगुनिया संक्रमण के लक्षणों के साथ निपटने के लिए नए और प्रभावी उपाय खोजने में सफलता प्राप्त की है। इस ख़बर से लोगों में आशावादी भावना हुई है कि वायरस संक्रमण के ख़िलाफ़ लड़ाई में विज्ञान उन्हें जीत रहा है।
इस उपलब्धि के बावजूद चिकनगुनिया संक्रमण को लेकर हमें अभी भी सतर्क रहने की आवश्यकता है। मॉस्किटो बाइट से बचाव, वातावरण को साफ रखने, और अगर संक्रमित हो जाए तो समय रहते दवाइयों का सेवन करना इस संक्रमण को रोकने में मददगार सिद्ध हो सकता है।
चिकनगुनिया के ख़िलाफ़ विज्ञान की ये महत्वपूर्ण उपलब्धि वैज्ञानिकों के एकमात्र उद्यान हैं, परंपरागत उपचारों से अच्छी से अच्छी राहत दिलाने के लिए अब उपयोगी वैक्सीन और उपचारों की तलाश करने का समय है।
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