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“कचरा उठाने के लिए व्यापारी या ठेकेदार की आवश्यकता है।”
एक बार फिर से कचरा उठाने के काम में लटकी हुई मुद्दे की चर्चा शुरू हो गई है। हाल ही में प्रकाशित समाचारों में आया है कि कई प्रशासनिक अधिकारी इस समस्या के अवगत हों गए हैं। भ्रष्टाचार की आशंका बढ़ती है और इसके कारण जनता को प्रभावित किया जा रहा है। आप एक वरिष्ठ नेता मनोज कुमार के वचन से परिचित हैं, जिन्होंने कहा है कि इस मुद्दे का जल्द से जल्द समाधान ढूंढ़ा जाना चाहिए।
“कचरा अवैध तरीके से उठाया जा रहा है।”
जहां तक कचरा उठाने की बात है, सीतामढ़ी नगर निगम क्षेत्र में यह काम अभी भी विवादास्पद है। कई इलाकों में बिना अनुमति के कचरा फेंका जा रहा है। इससे न केवल साफ-सुथरा वातावरण का निर्माण असंभव हो रहा है, बल्कि यह डेंगू और अन्य बीमारियों के प्रकोप को रोकने में भी मददगार नहीं है। इस मुद्दे को देखते हुए नगर निगम से कचरा उठाने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने की मांग की जा रही है। लोगों ने कहा है कि डेंगू से बचाव के लिए आवश्यक दवाओं की छिड़काव को भी संगठित रूप से और समय पर किया जाना चाहिए।
“काम की गतिशीलता पर असर पड़ता है।”
हमने अधिकारियों से बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन वे बता रहे थे कि कचरा उठाने के लिए कंपनियों के साथ ठेकेदारी की गई है और दवाओं को भी खरीदा जा चुका है। ऐसा कहकर वे संकेत संसाधित कर रहे थे कि काम की गतिशीलता पर इस वजह से सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। लेकिन यह समस्या सिर्फ शहरी क्षेत्र में ही प्रभावित नहीं होती है, ग्रामीण क्षेत्रों तक फैलती है। यहां तक कि सरकारी कर्मचारियों की शपथ भी ग्रामीण मरीजों के लिए असफल रही है, जिसकी वजह से डेंगू संक्रमण में घाटा हुआ है। हमें यह चिंता है कि लोगों को यह जागरुक करने की आवश्यकता है कि उन्हें खुद ही सतर्क रहना चाहिए और उचित उपायों को अपनाकर अपनी सुरक्षा बनाए रखनी चाहिए।
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