पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम में आई बाढ़ तबाही लेकर आई है। इस तबाही ने पूरे राज्य को आलोबगोला कर दिया है। न जाने कितनी मासूम जानों को इससे खतरा हो गया होगा। बाढ़ और जलप्रलय के कारण सेना के सात जवानों के साथ-साथ 40 और लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा तीस्ता नदी में 22 लोगों की लाश भी मिल चुकी है। हालांकि, यह अंक मौतों के संबंध में अभी बदलते रह रहे हैं।
बाढ़ के कारण लगभग 100 लोग अब भी लापता हैं और रेस्क्यू आपरेशन जारी है। इससे जुड़ी ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए एनआरडीएफ, एसडीआरएफ और भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर बचावकार्य में जुट चुके हैं। पर्यटन स्थल गंगटोक से दूरदराज तक कई कस्बों में बाढ़ और सैलाब के कारण तबाही देखी गई है। यहां गाड़ियां और मशीनें बह जाने के बावजूद, बहुत सारी पुल और सड़कें भी खतरनाक हालत में पड़ गई हैं।
सिक्किम के उत्तराखंड में इस समय सबसे ज्यादा तबाही हुई है। यहां के कई लोग अभी भी राहत शिविरों में हैं और कई मकानों को बंद कर दिया गया है। इसके अलावा मजबूत पुल टूट गया है और उसका एक हिस्सा अभी भी नदारद है।
मुख्यमंत्री ने प्राथमिकता के लिए आवश्यक सभी साधन सुनिश्चित किए हैं और प्रशासनिक अभियान शुरू कर दिया है। भारतीय सेना के गोला बारूद बहने के कारण लोगों को चेतावनी दी गई है कि वे उनसे दूर रहें। सिक्किम में हफ्ते के अंत तक सिस्मक ज़ोन-5 में भूकंप का आशंका बनी हुई है। शनिवार की रात को वहां धमाका हो गया था, जिसमें एक गोला बारूद बह गया था।
वैज्ञानिकों को भी इस तबाही और खतरे की वजह से चिंता है। वे यह दर रहे हैं कि बाढ़ और जलप्रलय बुधवार को भूस्खलन और भूकंप की संभावना लाए सकते हैं। इन सभी चिंताओं के साथ, सरकार अब तक प्रतिमाह वैज्ञानिकों के साथ बैठकों का आयोजन करती रहेगी और नयी सुरक्षा कार्यवाही शुरू करेगी।
यह बाढ़ और जलप्रलय सिक्किम की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचा चुके हैं। अगले कुछ हफ्तों में राज्य को इससे उभरने में काफी समय लग सकता है। सरकार के इस तबाही के लिए बचाव और मुकाबले के लिए कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता है। चूंकि यह एक दुर्घटनापूर्ण हादसा है, लेकिन सरकार और प्रशासन के सही कार्यवाही और लोगों की सोचे-समझे रवैये के आधार पर, सिक्किम बाढ़ के इस संकट से जल्दी से उभर सकता है।
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