सऊदी अरब ने गैर-मुस्लिम प्रवासियों के लिए शराब बेचने का फैसला लिया है। इस फैसले के तहत राजधानी रियाद में शराब की दुकान खोली जाएगी, लेकिन सिर्फ विदेशी डिप्लोमैटिक स्टाफ ही खरीदारी कर सकेंगे। यह नया फैसला उन लोगों के लिए एक बढ़ी खुशखबरी है जो नवाज शरीफ की नई सख्त शराबी नीति के कारण सूखे मुँह रह गए थे।
सऊदी अरब की मुख्यमंत्री साईफ बिन जलवबीने इस फैसले का ऐलान शुक्रवार को किया। उन्होंने कहा, “इससे शराब खरीदारी करने के लिए सऊदी अरब के बाहर से आए हुसैनी को अब किसी भी प्रशासनिक समस्या का सामना नहीं करना होगा। यह फैसला हमारे अंदर दोस्ताना रिश्तों को मेजबानी करेगा।”
इस नई नीति की वजह से सैकड़ों आबकारी दुकानदारों को बड़ा नुकसान होगा। यह नया व्यापारी बदलाव शराब के कारोबार में मंदी लाएगा और कई लोग बेरोजगार हो सकते हैं। यह फैसला भी मुस्लिम समुदायों के लिए एक सड़क पति की ओर से एक और स्कैंडल के तौर पर देखा जा सकता है। वहीं, सऊदी अरब सरकार यह दावा करती है कि यह फैसला धर्मानिरपेक्षता का हिस्सा नहीं है, और वे केवल एक व्यापारी बदलाव की बात कर रहे हैं।
पिछले कुछ महीनों में, द्विपक्षीय समझौते के बाद, सऊदी अरब ने भारतीय मज़दूरों के लिए शराब बंद कर दी थी। यह फैसला उन लोगों को नुकसान पहुंचाया था जो अपने परिवार के लिए रोजगार की तलाश में सऊदी अरब जा रहे थे। यह फैसला डॉनाल्ड ट्रंप की अदालती केंद्रित ताकत को आंतरविद्यालय स्टूडेंट मिनिस्ट्री जैसे संगठनों की ओर से प्रशंसा गया था।
यह नई नीति उम्मीदवार होने के लिए एक कदम है क्योंकि वहाँ कई भारतीय और बांगलादेशी प्रवासी हैं जो अपने देश के बाहर खराबी के सीमाएँ खोलकर रह गए हैं। सौदी अरब के इस मुहिम की अहमियत को समझते हुए, शराब बंद करने की नीति अब छोड़ दी गई है और इससे अब किसी भी प्रशासनिक समस्या का सामना नहीं करना होगा।
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