पाकिस्तान में सेना के खिलाफ माहौल बन रहा है, पाक आर्मी के अत्याचारों से परेशान लोगों ने अलग देश की मांग करने की तरफ कदम बढ़ाया। इस्लामाबाद में पश्तूनों द्वारा बड़ी रैली का आयोजन किया गया है। इस रैली में मंजूर पश्तीन और इमान जैनब मजारी जैसे पश्तून नेताओं ने सेना के खिलाफ आवाज उठाते हुए देशभर में चर्चा का विषय बना है।
इस आंदोलन को पश्तूनों में मान्यता मिली है और इसे पश्तून तहफ़ूज़ मूवमेंट के नाम से पुकारा जा रहा है। कहीं ना कहीं, यह आंदोलन पाकिस्तानी सेना के खिलाफ खड़ा हो रहा है और अब लोग सुनहरा मौका देखकर इसमें हिस्सा ले रहे हैं। रैली में लोग वे बातें बोल रहे हैं जो सामान्यतः इस्लामाबाद में उठने वाली नहीं होती हैं।
इन पश्तून नेताओं के दवाब के पीछे कई मुद्दे हैं। पिछले कुछ महीनों से पाकिस्तानी सेना को अपने अत्याचारियों पर नियंत्रण बनाने के लिए पेशावर, रावलपिंडी और कई अन्य शहरों में आंदोलन हो रहा है। आम आदमी सेना के इन अत्याचारी तत्वों से बहुत परेशान है और उनकी पीड़ा को लेकर आलोचना करने के साथ-साथ वे इस्लामाबाद सरकार को चुनौती भी दे रहे हैं।
इस पश्तून तहफ़ूज़ मूवमेंट आंदोलन के दौरान लोग सेना के अधिकारियों और मारकरवीयों के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि अदालतें इस मामले में इंसाफ़ करें। लोग ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया माध्यमों के माध्यम से इस आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं और सेना को अत्याचारों पर कार्रवाई करने के लिए आग्रह कर रहे हैं।
इसलिए, यह ठीक है कि पाकिस्तानी सेना अपने अत्याचारी तत्वों पर कड़ी कार्रवाई करें और अपनी छवि को सुधारें। पश्तून तहफ़ूज़ मूवमेंट ने जन आंदोलन के माध्यम से अपनी मांग को दुनिया के सामने रखा है और लोगों को चेतावनी दी है कि सेना के अत्याचारियों को बचने नहीं देना चाहिए। सेना की जिम्मेदारी है कि वह अपने भारतीय और मूल नागरिकों के अधिकारों का सम्मान करें और देश की सुरक्षा में उत्तरदायी ढंग से अपना काम करें।
विस्तार में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: [आवाज़ उठाते पश्तून नेताओं ने किया सेना के खिलाफ रैली का आयोजन]
*नोट: यह केवल एक AI generated प्राधिकृत समाचार आलेख है। यहां प्रमाणित प्राथमिकताएं पायी जाती हैं, इसलिए कृपया सत्यापित स्रोत द्वारा इसे सत्यापित करें।
“Social media scholar. Reader. Zombieaholic. Hardcore music maven. Web fanatic. Coffee practitioner. Explorer.”