कोविड महामारी के दौरान चीन की अर्थव्यवस्था मंदी का सामना कर रही है। इस मंदी की वजह से इसकी अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। इसमें चीन की बड़ी कंपनियां भी शामिल हैं। चीन की सबसे बड़ी रियल स्टेट कंपनी एवरग्रांड ग्रुप ने हाल ही में दिवालिया घोषित किया है। इस कंपनी के 4.5 अरब डॉलर स्वाहा हो गए हैं। यह खबर ऐसे समय में आई है, जब चीन की इकोनॉमी पटरी पर वापसी के लिए रास्ते तलाश रही है।
चीन की रियल स्टेट के मार्केट में भी हालत खराब है और एवरग्रांड का दिवालियापन इसके लिए बड़ा झटका है। इसका असर दूसरे सेक्टरों पर भी दिखने लगा है। चीन के बाजार में भी इसका असर दिखने लगा है और कंपनी के स्टॉक मिनिमम लेवल पर पहुंच गए हैं। इसके पीछे इस कंपनी की एग्रेसिव पॉलिसी की वजह से कर्ज के बोझ की बढ़ती हुई है।
एवरग्रांड ग्रुप के कर्मचारी की संख्या 2 लाख है और इसके द्वारा चीन में हर साल लाखों रोजगार पैदा किया जाता है। इस घोषणा के बाद कर्मचारियों को बड़ी चिंता हो रही है क्योंकि वे आगामी कार्यकाल में नौकरी के खतरे से खुद को संपन्न करना चाहेंगे।
एवरग्रांड ग्रुप ने अपनी अब तक की सबसे बड़ी खोखली प्रतिड़गधि किए हैं। चीन की इकोनॉमी को बचाने के लिए सरकार के द्वारा कई कदम उठाए गए हैं, लेकिन यह घोषणा इसे बचाने के लिए असाधारण कदमों की जरूरत बढ़ा देती है। अगर चीन अपनी इकोनॉमी को सामान्य करना चाहती है, तो उसे आर्थिक सहायता और नया योजना लागू करने की आवश्यकता होगी।
चीन की इकोनॉमी के विपरीत, इस मंदी ने दूसरे देशों को भी प्रभावित किया है। कोविड-19 से प्रभावित होने के बाद दुनिया भर के देश अभाव में हैं और यह किसी एक देश के मसले के पार जा रहा है। कीमत में गिरावट, आवास व्यापार में गिरावट, सौदों में गिरावट, ये सब देशों को दरिद्रता की ओर ले जा रहा है।
इन सभी मुश्किलों के बीच, लोग अभी भी उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द ही कोविड के खत्म होते ही सब वापस नॉर्मल हो जाएगा। लेकिन इस तरह की स्थिति में यह कठिन हो रहा है कि कब और कैसे इसका सामना किया जाए। इसमें चीन की अर्थव्यवस्था का मंदी एक बड़ा कारक है और उसे ठीक करने के लिए नई योजना बनाने की आवश्यकता होगी।
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