ICICI बैंक की पूर्व एमडी और सीईओ चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन के फाउंडर वेणुगोपाल धूत के खिलाफ दायर चार्जशीट में बड़ी बात सामने आई है। इस चार्जशीट में इस एचडीबी केस के तहत चंदा कोचर को बैंक के पैसों का दुरुपयोग कर रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया है। इसके साथ ही दायर चार्जशीट में दीपक कोचर को वीडियोकॉन समूह की कंपनी में निवेश करके आरपीए का उदाहरण देने का आरोप भी लगाया गया है।
ICICI बैंक ने अपनी बैंकिंग व्यवस्था के तहत वीडियोकॉन ग्रुप को 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि दी थी, जो अब एनपीए बन गई है। चंदा कोचर को आईसीआईसीआई की जिम्मेदारी सौंपी गई थी और उन्होंने इस धन का दुरुपयोग किया था। चंदा कोचर के पति दीपक कोचर ने वीडियोकॉन समूह की कंपनी में 64 करोड़ रुपये का निवेश किया था।
चंदा कोचर को वीडियोकॉन समूह के फ्लैट में रहने की सुविधा दी गई थी, जिसके बाद उन्होंने इसे अपने पारिवारिक ट्रस्ट को ट्रांसफर कर दिया। बाद में पति दीपक को संगठन के समर्थन में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल कर दिया गया। चंदा कोचर ने 64 करोड़ रुपये की ‘रिश्वत’ भी ली थी और बैंक के पैसे का दुरुपयोग किया था। ICICI बैंक को वीडियोकॉन समूह से 1,033 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है।
1984 में इसीआईसीआई में मैनेजमेंट ट्रेनी के रूप में शुरुआत करने वाली चंदा कोचर को फिर बैंक के प्रबंध निदेशक और सीईओ का पद दिया गया। उन्होंने अपने काम के बदौलत अपने नाम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुनामी बना लिया था। लेकिन अब ये आरोप उनकी प्रशंसा को धधका देने का काम कर रहे हैं। इस मामले में CBI ने यमन के खिलाफ मैनी लॉन्ड्रिंग मामले में FIR दर्ज कर दी है।
विद्यमान मामले को बड़ा व गंभीर माना जा रहा है और इस पर मीडिया में भी विस्तार से छाया जा रहा है। ICICI बैंक के खिलाफ लगे आरोपों ने बैंक को जनस्थान की नज़र में गिराने में कामयाबी हासिल की है। E-Postmortem न्यूज को ये खबर लेकर आपके सामान्य पाठकों को यह जान कर अवगत कराने की कोशिश की है कि ICICI बैंक के खाते की मान्यता को चंदा कोचर के खिलाफ आरोपों के साथ झुलसने वाले मामले में गिरावट नहीं हुई है।
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