पीटीआई के नेताओं की उम्मीदवारी को खारिज किया गया है, जबकि अन्य दलों के नेताओं को नामांकन पत्र स्वीकार किए गए हैं। इस बारे में चुनाव आयोग के पास बाध्यकारी अधिकार है। इसमें पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट की परामर्श भी मान्यता देनी होती है।
चुनाव आयोग पर पीटीआई, बीएनपी-एम और ग्रैंड डेमोक्रेटिक अलायंस के नेताओं ने आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि यह आयोग पक्षपाति है और वे अन्य दलों के बंदूकधारी और गैर-कानूनी उम्मीदवारों का चयन करने में विफल रहे हैं। इसके साथ ही इन दलों के नेताओं ने अधिकारियों को भ्रष्टाचार और निष्पक्षता की कमी करने का भी आरोप लगाया है।
पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने इमरान खान को जमानत दी थी, लेकिन चुनाव आयोग ने उनके नामांकन को खारिज किया है। यह सुप्रीम कोर्ट के अधिकार और उनकी न्यायिक प्रक्रिया में मतभेद की एक मात्र कारण है। अधिकारियों के अनुसार, इमरान खान के कोई धारणा विरुद्ध अभियोग नहीं है, लेकिन उन्हें न्यायिक सुरक्षा नहीं मिली है।
इस मामले में नवाज शरीफ का नामांकन स्वीकार किया गया है, जबकि उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने आजीवन प्रतिबंध लगाया हुआ है। यह एक महत्वपूर्ण और विवादास्पद निर्णय है। उन्हें अपराधिक आरोपों के लिए सजा दी गई थी और अब चुनाव आयोग ने उनके नामांकन को मान्यता प्रदान की है।
पीटीई के नेताओं ने चुनाव आयोग की पक्षपाति योजना पर आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि चुनाव आयोग विशेषाधिकार अभिमानियों से भरा हुआ है और वे इसकी जांच करने के लिए विशेष टीम की आवश्यकता महसूस कर रहे हैं। अपराधियों के नामांकन के मामले में, उन्होंने कहा है कि चुनाव आयोग को एकांत में जांच करनी चाहिए और अधिकारियों को पक्षपात करने में से बचना चाहिए।
यह सभी मामले काफी महत्वपूर्ण हैं और इनकी जांच के लिए आदान-प्रदान की जानी चाहिए। पीटीआई के नेताओं की उम्मीदवारी को खारिज करने का निर्णय कठिन हो सकता है और अन्य नेताओं के नामांकन को स्वीकृति देना किसी ने कहा है कि चुनाव आयोग की हमेशा सुप्रीम कोर्ट को समर्पित होनी चाहिए। यह सभी दलों के लिए न तो अच्छी खबर है और न ही बुरी।
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