चंद्रयान 3 के सुपरवाइजर एक्सपेरिमेंट में सफलता की खुशखबरी आई है। रोवर ने अपनी क्षमता से भी ज्यादा काम किया है। इसमें उसने लैंडर के साथ मिलकर भारी कामयाबी हासिल की है। विक्रम लैंडर ने चंद्र की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की है और इससे भविष्य में ह्यूमन मिशन को संभव हैं संभव हो सकता है। विक्रम लैंडर ने अपनी क्षमता का परिचय देते हुए 40 सेंटीमीटर ऊंचाई तक छलांग लगाई है। इसके बाद, रोवर के बाद लैंडर का रेंप, चास्टे और पेलोड्स एक बार फिर से खुल गए हैं। रोवर और लैंडर की बैटरी सौर ऊर्जा से चार्ज होती हैं, जिससे इनकी कामकाजी समय सुरक्षित रहता है।
यह बात दिलचस्प है कि प्रज्ञान रोवर सो चुका है और नए स्थान पर सुरक्षित रखा गया है, उसके प्रीपेयरेशन पर केंद्रित करने के लिए समय दिया जा रहा है। सिर्फ अंधेरे के बाद, जब पुनः सूरज की प्रकाशमान होगी, तब शायद ये दोनों फिर से एक्टिव निकल सकेंगे।
चंद्रयान 3 के इस सफलता से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इस परियोजना में निवेश कर रहे लोगों के उम्मीदों को पूरा करने में कामयाब रहा है। इससे भारतीय अंतरिक्ष प्रोग्राम को और बढ़ावा मिलेगा और विज्ञान के क्षेत्र में देश का नाम ऊंचा करेगा। हालांकि, अभी चुनौतियाँ काफी बड़ी हैं, लेकिन अग्रगण्यता और इंजीनियरिंग का चमत्कार देखने के लिए हमेशा एक कदम आगे रहने के लिए एक मील का पत्थर रखा जा रहा है। इन सफलताओं के बाद हमें विश्वसनीयता के बिंदु देखना चाहिए की तो आगे जो कुछ भी हो एक दिन चंद्रयान 3 ऐतिहासिक मोमबत्ती बन सकता हैं।
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