महसा अमिनी की हिरासत में मौत के 10 महीने बाद ईरान में फिर से मोरल पुलिस की गतिविधियाँ बढ़ी हैं। ईरान सरकार ने महिलाओं को इस्लामी पोशाक पहनने के लिए मजबूर किया है। महसा अमिनी की मौत के बाद देशभर में हिजाब के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए हैं। हिजाब अभियान के तहत मोरल पुलिस ने सड़कों पर फिर से संगठित छापेमारी आरंभ की है। ईरान में महिलाओं को सारी पर धब्बे या दूसरी सजावट पहनने वाली छापेमारी मजबूरी में किया जा रहा है। महसा अमिनी की मौत के समय देशभर में हिजाब के खिलाफ न्यायिक और समाजसेवी संगठनों ने संघर्ष शुरू किया था। ईरान में महिलाओं के खिलाफ क्रूरतापूर्ण बर्ताव का मुद्दा बना हुआ है। महसा अमिनी की मौत के बाद आयोजित किए गए संगठनित धरनों में लोग ईरान सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठा रहे हैं। महिलाओं को अपनी स्वतंत्रता और अधिकारों की रक्षा के लिए मिलकर संगठित होना आवश्यक हुआ है। महसा अमिनी की मौत के बाद देशभर में ईरान सरकार के खिलाफ विरोध की आवाज सुनाई दे रही है।
ईरान भोले मानस परंपरा वाले देशों में से एक है, लेकिन हाल ही में हुई एक घटना ने इस देश का चेहरा ही पलट दिया है। महसा अमिनी नामक महिला जिन्हें ईरानी पुलिस ने ईसाई पारंपरिक पोशाक पहनने के आरोप में गिरफ्तार किया था और इनकी हिरासत में ही उनकी मौत हो गई थी। इसके दस महीने बाद भी ईरान में मोरल पुलिस की गतिविधियों का पता चला है। इस बात की जानकारी के बाद देश में आए विरोध प्रदर्शनों में तेजी देखी जा रही है।
आपको यह तस्वीर पढ़ कर हैरानी तो हो ही जाएगी आपको लगेगा कि ईस्लामिक देश में महिलाओं के रूप रंगाने की आज़ादी नहीं हो सकती, लेकिन शायद ही कोई इससे ओहदा होगा कि ईस्लामिक देश में महिलाओं को हिजाब उठाने के लिए अकड़ना पड़ेगा। महसा की मौत का इससे कुछ लेना देना नही था, हालांकि आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने वाली पुलिस को यह इस्लामी कार्यवाहियों में शामिल होने का दर्जा दिया जा रहा है। आइए चलिए देखिए कि आखिर सच में क्या हो रहा है।
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