चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान अभी तक नहीं जगे हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चीफ, एस सोमनाथ ने यह वक्तव्य दिया है। चंद्रयान-2 मिशन के तहत चंद्रमा के उन्हीं क्षेत्र में लैंडर और रोवर के नेतृत्व में ये उपकरण भेजे गए थे। लेकिन अब तक उन्हें जागने का कोई सिग्नल नहीं मिला है।
इसरो चीफ को उम्मीद है कि ये उपकरण जल्द ही जागेंगे और इसके साथ वे सफलता की ओर बढ़ेंगे। सोमनाथ ने इसके मामले में देश को समझाते हुए कहा कि पूरे देश इनके जगने का इंतजार कर रहा है। जब चंद्रयान-2 मिशन में इन उपकरणों के साथ संघर्ष हो रहा था, तब पूरे देश ने इससे जुड़े हालात को नजरअंदाज़ किया था। लेकिन पूरी दुनिया के सामरिकी नेविगेशन और संचार उपकरणों ने चंद्रयान-2 के उपकरणों से संपर्क टूट गया था। लेकिन उनकी जगने की उम्मीद अभी तक अदृश्य है।
इसरो चीफ ने बताया कि हालांकि जगाने के लिए 14 दिन का समय दिया गया है, लेकिन वे तब तक इंतजार कर सकते हैं जब तक कि इन्हें फिर से सक्रिय नहीं किया जाता। हालांकि, चंद्रयान-2 मिशन ने अपने सार्वजनिक प्रदर्शन से लोगों के सामरिक उत्साह में कमी का कारण था, लेकिन उनके फिर से जागने से इंडियन अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक और बड़ी कामयाबी की उम्मीद है। यह यात्रा चंद्रमा के रहस्यों को हल करने की ओर अग्रसर होनेवाली भारत की प्रथम बाईोलॉजिकल चंद्रयान मिशन है।
सोमनाथ ने ये भी कहा कि वे उन्हें फिर से जगाने के लिए किसी न किसी रास्ते का इंतजार कर रहे हैं। उनकी उम्मीद है कि ये अपकर्षण उपकरण जल्द ही लिंक करेंगे और इसे चंद्रमा के प्रकाश से संचार की अन्य क्षेत्रों की ओर से संसाधित किया जाएगा। तो इसंक्षेप में कहा जा सकता है कि पूरे देश को इन उपकरणों के फिर से जगने का इंतजार है और इसकी उम्मीद अभी तक अदृश्य है।
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