भारतीय राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने भारतीय गणतंत्र दिवस के अवसर पर एक प्रभावशाली भाषण दिया है। इन दिनों जहां देश में दुष्प्रभावों की बढ़ती संख्या से चिंतित हो रहा है, वहीं सरकार के ऊँचे पदाधिकारी भारतीय जनता को इन संकटों से निपटने के लिए सहयोग करने की अपील कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार राष्ट्रपति कोविंद ने एक महत्पूर्ण मुद्दे पर खुलकर बात की है। उन्होंने कहा कि देश को ताकतवर दुष्प्रभावों के खिलाफ लड़ने की ज़रूरत है। इस प्रयास में उन्होंने महात्मा गांधी के विचारों की भूमिका को महत्वपूर्ण बनाते हुए कहा कि अब देश को हिंसा और प्रतिद्वंद्विता के मुकाबले शान्ति और सहयोग की आवश्यकता है।
इसके अलावा, राष्ट्रपति ने बच्चों, युवाओं और समाज के हर व्यक्ति को सकारात्मक भूमिका निभाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने जाति, धर्म और लिंग से अलग होकर राष्ट्र के विकास में सहयोग का आह्वान किया है। इससे हम यह समझ सकते हैं कि राष्ट्रपति की यह अपील हर वर्ग, धर्म और समाज से जुड़े लोगों के लिए था।
राष्ट्रपति ने अपने भाषण में कहा है कि भारतीय संविधान इस समय बहुत मजबूत है और देश को किसी भी आपदा का सामना करने की क्षमता है। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय संविधान ने देश के इन खतरनाक चुनौतियों जैसे परमाणुबम और नक्सली आतंकवाद के खिलाफ देश की रक्षा के लिए जो कीमती उपाय निर्धारित किए हैं, उन्हें निभाया है।
इसके साथ ही, राष्ट्रपति ने उनके उन्नति के कार्यों के संकल्प को चर्चित किया है और भावुक भाषण में कहा है कि वह सरकार को अपने योजनाओं के लिए प्रशंसा करते हैं। इससे स्वयं भारतीय जनता पार्टी के समर्थन में उत्साह बढ़ गया है।
राष्ट्रपति की इस भाषण से देश में राष्ट्रीय एकता, शांति और सहयोग की भावना को जगाने में मदद मिली है। जब-जब देश को अस्थिरता से गुज़रना पड़ता है, तब-तब ऐसे भाषण से हमारी आशा और मंदिरों में फिर से दिया जलता है। राष्ट्रपति कोविंद के आगे ज़रूर सुलझी हैंगामों के रास्ते।