गूगल ने अपना नया AI मॉडल ‘जेमिनी’ का परिचय किया है। इस मॉडल के प्रेजेंटेशन ने लोगों की आकर्षण खींची। लेकिन बाद में पता चला कि इस प्रेजेंटेशन में कुछ गड़बड़ी थी। गूगल ने एक वीडियो रिलीज किया, जिसमें जेमिनी की विशेषताएं दिखाई गईं। लेकिन यह वीडियो भी फेक और एडिट किया गया था।
गूगल के स्पोकपर्सन ने यह बताया कि इसे एक डेमो के लिए बनाया गया था। वीडियो में जेमिनी के काम को अधिक गलत दिखाया गया है। इसमें उसकी क्षमताओं का परीक्षण किया गया है, जो कि इसकी वैद्यूतिकी द्वारा बताई गई है। यह प्रेजेंटेशन न केवल उन लोगों को पेश किया गया था जो AI की उच्च रुचि रखते हैं, बल्कि आम लोगों को भी इसके प्रभाव में लाने का प्रयास किया जाना था।
यह घटना न सिर्फ गूगल के इमेज कोमिटमेंट को प्रभावित कर सकती है, बल्कि उसकी विश्वसनीयता पर भी प्रश्न उठा सकती है। जबकि वीडियो और प्रेजेंटेशन की उत्पत्ति में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन उसे फेक एवं एडिट करने के बाद इसकी विशेषताओं का सत्यापन करना अवांछनीय है।
जेमिनी इंफ्रा-रेड सामग्री पर भी काम कर सकता है और इसकी विशेषताएं आदर्श ट्रेन करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं। यह सामग्री सुरक्षित ढंग से कैप्चर करके अपने प्रयोगकर्ताओं को निर्मल वीडियो को प्राप्त करने में सक्षम होगा। इसकी शक्ति भी उसी तक सीमित होगी, जो कि उसके माध्यम से नामुमकिन है।
जेमिनी द्वारा क्लिप किए गए वीडियो प्रयासों से, गूगल ने पेश किया है कि वे अपने AI मॉडल के समारोह में चलते हैं। यह भी दिखाता है कि यह कैसे इंसानी मस्तिष्क के कामकाज में सुधार कर सकता है। जेमिनी का लाभ एक अद्वितीय/विशेष तरीके से लिया जा सकता है और वह समय की उधारणा कर सकता है।
यह गूगल के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव हो सकता है। इसके बारे में और अधिक जानकारी को खोजने के लिए, ‘ई-पोस्टमॉर्टेम’ वेबसाइट पर जाएं।