अफ्रीका के उत्तरी और पूर्वी हिस्सों में हो रही दरार से भयंकर संकट की घटना हो सकती है, जिसकी अनुमानित लंबाई 3500 किलोमीटर हो सकती है। वैज्ञानिकों की मानें तो, यह दरार अफ्रीका महाद्वीप के टूटने की भविष्यवाणी के संकेत है, जो हाल ही में विद्वानों ने की थी। इसका मुख्य कारण धरती के टेक्टोनिक प्लेट्स के टकराव में है, जिसके कारण पूर्वी अफ्रीकी दरार बढ़ रही है।
इस घटना की वजह से धरती में दरार पैदा हो रही है, जिससे अफ्रीका के दो टुकड़े हो सकते हैं। जैसे-जैसे दरार बढ़ेगी, समुद्र का पानी उसमें भरने लगेगा और एक नया समुद्र उत्पन्न होगा। यह बात वैज्ञानिकों की मानें तो यहां एक नया महासागर बनने का अनुमान है।
सोमालियन और नुबियन टेक्टोनिक प्लेट के बढ़ने के कारण पूर्वी अफ्रीकी दरार बढ़ने में असर होगा। यह कड़ी संभावना है कि इससे समुद्र का पानी दरार में भरने लगेगा और अफ्रीका महाद्वीप में एक नया समुद्र उत्पन्न होगा।
इस संकट की आंखों दिखा रही हुई तबाही का हो सकता है पूर्वी अफ्रीकी हिस्से को खाक खाने की आशंका भी है। वैज्ञानिक आस्था के अनुसार, दरार के फैलते ही समुद्र का पानी घटते जा रहा है और इससे खेती और जीविका स्रोतों की मात्रा में भी गिरावट देखने को मिल सकती है। इस बात की भी चिंता है कि इससे अफ्रीका और पूरी दुनिया को भूकंप इत्यादि के लिए खतरा भी हो सकता है।
यह सब बातें जैसे ही साम्राज्यिक होती हैं, वैज्ञानिक और नवागंतुकों के लिए नई अवसरों और चुनौतियों को भी प्रस्तुत करती हैं। क्या अफ्रीका के पूर्वी हिस्से में तल्ख मोहर खुलने की खबरें सच होंगी, यह वक्त ही बतायेगा।
इस खबर की आधार पर अब ‘E-Postmortem’ साइट ने बढ़ाया है जागरूकता, ताकि लोग इस घटना के पहले से तैयार रहें और उचित कार्रवाई कर सकें। इस खतरे से निपटने के लिए विज्ञान और तकनीकी विस्तार के माध्यम से ऊर्जा संरक्षण, पानी की बचत और पर्यावरणीय बैठकरी की आवश्यकता सामान्य बना रहेगी। राज्य सरकार और बेहतर नीतियों की अपेक्षा है कि वह इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर जल्दी समाधान करें।