दिल्ली-एनसीआर समेत देशभर में शीतलहर का कहर जारी है। कड़ाके की ठंड के कारण हॉस्पिटल्स में बीमारी की संख्या बढ़ गई है। चिलब्लेन्स के मामले बढ़ गए हैं। चिलब्लेन्स के कारण हाथ और पैरों की उंगलियों में सूजन नजर आती है। रक्त कोशिकाओं में ब्लड फ्लो का स्थान कम हो जाता है। त्वचा लाल नजर आती है। ठंडे पानी में काम करने वालों में इस बीमारी के लक्षण जल्दी दिखाई देते हैं। बाइक चलाने वालों को चिलब्लेन्स की समस्या ज्यादा होती है। त्वचा में पस भर जाता है और इन्फेक्शन का खतरा दोगुना होता है। चिलब्लेन्स का कारण विटामिन की कमी नहीं होना है। चिलब्लेन्स होने के पीछे कारण जेनेटिक और ब्लड सर्कुलेशन के हो सकते हैं। विटामिन-बी12 की कमी चिलब्लेन्स का कारण हो सकती है। जिंक की कमी से भी स्किन संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। ओमेगा-3 फैटी एसिड्स का सेवन चिलब्लेन्स से बचाने में मदद कर सकता है। विटामिन-डी की कमी स्किन संबंधित समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है। चिलब्लेन्स से बचने के लिए हाथों में दस्ताने का प्रयोग करें। पैरों में जूते पहनें। ठंडी हवा में ज्यादा देर न रहें। बाहर जाते समय गर्म कपड़े पहनें।
देशभर में शीतलहर के मौसम ने हासिल किया जबरदस्त पक्षी आपूर्ति, हाथ और पैरों में चिलब्लेन्स की समस्या के बढ़ने से हॉस्पिटलों की भी रुक-रुक कर आने लगी है। वर्षा की ठीकाने पर चिलब्लेंस पिंड पर चिड़कों की तरह आएंगी। लोगों के निरोगता को बढ़ा रही ये बीमारी एक खतरनाक इन्फेक्शन संक्रमण हो सकता है। इसके कारण त्वचा पर संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इससे पीड़ित की ज़िंदगी में काफी परेशानी बढ़ती है। ये विटामिन की कमी या जिंक की कमी के कारण हो सकती है इसलिए पीड़ित व्यक्ति को विटामिन से भरपूर आहार लेना जरुरी है। ये उन लोगों को ज्यादा परेशान करती है जो बाइक चलाते हैं। इन लोगों में चिलब्लेन्स की समस्या ज्यादा होती है। इसमें यदि संक्रमण हो जाए तो काफी समस्याएं खड़ी हो सकती हैं। इसलिए इन लोगों को पूरा ध्यान रखना चाहिए। इनकी सेहत को बनाए रखने के लिए विटामिन-डी की कमी उपाय का है। इसके अलावा इन लोगों को ठंडी हवा में ज्यादा देर रुके नहीं रहना चाहिए। इनके नाक, हांथ और पैर शरीर का प्रमुख अंग होते हैं। इनकी सुरक्षा के लिए इनको ठंड से बचाने के साथ गर्मी के बर्तन का इस्तेमाल करना चाहिए।
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