अमेरिकी फेड के फैसले का मार्केट पर पॉजिटिव असर दिखा, सेंसेक्स-निफ्टी में अच्छी बढ़त के साथ बंद हुए। अमेरिकी फेड और जेरोम पॉवेल की टिप्पणी ने मार्केट में बेहतर माहौल तैयार किया। ट्रेजरी यील्ड्स गिर गए और शेयर मार्केट उछला। क्या विदेशी निवेशक अब भारतीय मार्केट में वापसी करेंगे? विदेशी निवेशकों ने पिछले तीन महीने में तगड़ी बिकवाली की हैं। अमेरिकी फेड के फैसले का भारतीय शेयरों के लिए क्या है मतलब? ब्याज दरों में किसी भी गिरावट का मतलब है कि उभरते बाजारों में अधिक पैसा आएगा, जिससे भारत को फायदा होगा। लॉन्ग टर्म में सावधानी बरतनी होगी, अस्थिरता बढ़ सकती है। विदेशी संस्थागत निवेशकों ने ताबड़तोड़ बिकवाली कर रहे हैं। अमेरिकी बॉन्ड यील्ड और डॉलर इंडेक्स में गिरावट। विदेशी निवेशक उभरते बाजारों की तरफ तेजी से लौट सकते हैं, भारत उनका मनपसंदीदा स्थान हो सकता है। NBFC, कैपिटल गुड्स, इंफ्रा सेगमेंट्स में दिलचस्पी दिख सकती है। वैल्यूएशन और ग्रोथ के लिहाज से बैंकों और आईटी शेयरों में मौका हो सकता है।
अमेरिका की फेडरल रिजर्व बैंक ने हाल ही में अपने ब्याज दरों में कटौती की घोषणा की है और इस फैसले का सीधा प्रभाव भारतीय शेयर बाजारों पर पड़ा है। फेड के इस फैसले के चलते भारतीय शेयर बाजारों में अच्छी बढ़त देखी गई है। सेंसेक्स और निफ्टी इंडेक्स यहां ट्रेडिंग में उछल कायम कर चुके हैं। जबकि इस फैसले की वजह से विदेशी निवेशकों के मन में पुनः भारतीय शेयर बाजार में वापसी की संभावना भी बढ़ गई है।
विदेशी संस्थागत निवेशकों के मामले में दिख रही यह बदलती रुचि किसानी बाजार वालों के लिए खुशी की बात है। पिछले तीन महीने में दिखी विदेशी निवेशकों की तगड़ी बिकवाली दरअसल उन्हें फेड के फैसले के प्रति असक्षम बना दिया था। हालांकि, अमेरिकी फेड के नए आदेश अक्सर ही उद्योगों के लिए सकारात्मक होते हैं, जिनसे विदेशी निवेशकों की रुचि भी बढ़ती है। इसलिए, फेड के फैसले का असर भारतीय शेयर बाजार के लिए मतलबपूर्ण है।
ब्याज दरों में कमी का मतलब होता है कि अधिक से अधिक लोग बाजार में पैसा निवेश करेंगे। इससे बाजार में लिक्विडिटी में वृद्धि होती है और अच्छी बढ़त देखने को मिलती है। यह फायदेमंद हो सकता है क्योंकि अब विदेशी निवेशकों की ध्यान में भारतीय शेयर बाजार आ सकता है। विदेशी संस्थागत निवेशक इससे कमाई भी कर सकते हैं। हालांकि, लॉन्ग टर्म में सावधानी बरतनी का सुझाव दिया जा रहा है, क्योंकि बाजार में अस्थिरता भी बढ़ सकती है।
इस बदलती वातावरण के बीच विदेशी निवेशकों के बिगड़ते न्यूज़ एक मंडी जैसा प्रभाव डाल सकते हैं। ऐसे में एनबीएफसी, कैपिटल गुड्स, और इंफ्रा सेगमेंट की शेयरों में विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ सकती है। बैंकों और आईटी क्षेत्र के शेयरों में भी वैल्यूएशन और ग्रोथ के लिहाज से एक मौका हो सकता है।
इसलिए, फेड के फैसले का अनुमानित प्रभाव भारत की शेयर बाजार के लिए अच्छा साबित हो सकता है। अमेरिका की बॉन्ड यील्ड और डॉलर इंडेक्स में गिरावट भी दिख रही है, जो विदेशी निवेशकों को भारत की ओर आकर्षित कर सकता है। लेकिन, इस बदलते माहौल में आपको सतर्क रहना होगा क्योंकि बाजार में अस्थिरता के अवसर भी बढ़ सकते हैं।
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