दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का समापन हो गया है और इस मौके पर 6 नए देशों को ब्रिक्स में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है। इस सम्मेलन में ईरान, सऊदी अरब, मिस्र, अर्जेंटीना, ईथियोपिया और संयुक्त अरब अमीरात ब्रिक्स में बाद में से चार देश शामिल होंगे। एक बार इन देशों का शामिल हो जाने से ब्रिक्स की संख्या 11 हो जाएगी।
भारत के लिए ईरान को ब्रिक्स में शामिल करना एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे भारत और ईरान के बीच रूस और चीन जैसे देशों के साथ विरोधी संबंधों को आगे बढ़ाने का द्वार खुलेगा। इसके अलावा भारत और ईरान के बीच सात्विक रिश्तों का विकास हुआ है। ईरान भारत के लिए महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता है और भारत ईरान के तेल और गैस क्षेत्र में निवेश कर रहा है। इसके अलावा ईरान और भारत बहुपक्षीय मंचों के साथ और क्षेत्रीय पहलों में सहयोग करते हैं।
इसके अतिरिक्त, ईरान को ब्रिक्स में शामिल होने से उम्मीद है कि अमेरिका द्वारा उसके खिलाफ लगाए गए प्रतिबंध कमजोर होंगे। इससे ईरान की अर्थव्यवस्था में काफी मदद मिलेगी और यह देश में अधिक विकास के रास्ते खुल सकेंगे।
यह सम्मेलन द्वारा ब्रिक्स के सदस्य देशों के बीच सहयोग और व्यापार में वृद्धि के अवसर पेश किए गए हैं। इस अवसर पर ब्रिक्स के सदस्य देशों ने इतने ही नहीं, बल्कि अन्य देशों को भी ब्रिक्स में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है। यह उम्मीद है कि इससे ब्रिक्स की गति और महत्व दोहरा होगा और ये देशों के बीच और अधिक मजबूत संबंधों का माध्यम बनेगा।
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