भारत में स्वदेशी ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) किट के प्रयोग से सर्वाइकल कैंसर की जांच और इलाज में सुधार किया गया है। देश में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और अन्य लैबों में तीन लैब में स्वदेशी किट के सटीक परिणाम की जांच के ट्रायल शुरू हो चुके हैं। इस नई किट के प्रभावी परिणाम होने पर देश में सर्वाइकल कैंसर की व्यापक जांच संभव हो सकेगी। ताजगी खबर के मुताबिक, इस किट की जांच के लिए यूरिन का भी उपयोग किया जा रहा है, जिससे इसे आसान और सुलभ बनाया जा सकेगा।
2020 में भारत में सर्वाइकल कैंसर के लगभग 1,23,907 नए मामले और 77,348 मरीजों की मौत हुई थी। इसलिए, स्वदेशी किट के उपयोग से सर्वाइकल कैंसर की पकड़ और इलाज में सुधार आ सकेगा। इसके अलावा, राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत वैक्सीनेशन को लेकर उठाए गए कदमों से सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम में और भी सुधार होने वाली है।
एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि इस किट के द्वारा रिपोर्ट मिलने में सिर्फ एक से डेढ़ घंटे का समय लगेगा। यह सुविधा उन महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है जो इस खतरनाक बीमारी के इलाज के लिए जल्दी निर्णय लेना चाहती हैं।
स्वदेशी किट के उपयोग की मान्यता अर्जित करने के लिए, इसका यूरोपीय मानक सत्यापन ट्रायल भी किया जा रहा है। यह किट विदेशी किट की तुलना में कम कीमत पर उपलब्ध होने के कारण, ज्यादातर महिलाएं इसका लाभ उठा सकेंगी।
इस स्वदेशी ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) किट के अवशेषों की प्रयोग संबंधी जानकारी और तकनीकी विवरण आप ‘ई-पोस्टमॉर्टेम’ वेबसाइट पर देख सकते हैं। यह वेबसाइट स्त्री स्वास्थ्य से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है और अपने पाठकों को अद्यतित और उच्च गुणवत्ता वाली सूचनाएं प्रदान करती है।
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