शरीर में होने वाले दुष्प्रभावों के कई रोगों का मुख्य कारण सिगरेट और शराब हो सकते हैं। यहां तक कि, धूम्रपान या सिगरेट का नशा सेल्स को नुकसान पहुंचा सकता है और इसके प्रभाव से लंग्स कैंसर की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। कैंसर प्रभावित होने वाले मरीजों के लिए बेहतरीन उपचार की योजना बनाने में जेनेटिक टेस्टिंग का उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा, जेनेटिक टेस्टिंग से कैंसर के कारणों को समझा जा सकता है और इससे उपचार के प्रभाव को बढ़ाया जा सकता है। अधिकांश मामलों में, यह टेस्टिंग संभावित साइड इफेक्ट कम करती हैं।
बुधवार को, एक स्टडी में यह प्रमाणित हुआ कि नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (एससीएलसी) से पीड़ित मरीजों के लिए जेनेटिक टेस्टिंग की जरूरत होती है। इससे डॉक्टरों को उच्च गुणवत्ता वाले उपचार की योजना बनाने में मदद मिलती है। इससे पहले से ही किसी व्यक्ति की परिवार में कैंसर हुआ हो, वह भी इस टेस्ट को करा सकता है।
लंग्स में किसी भी तरह की परेशानी होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लेने की जरूरत होती है। साथ ही, धूम्रपान और शराब का सेवन से दूर रहना भी बहुत आवश्यक है ताकि ऐसे रोगों के प्रति हमारी संवेदनशीलता बढ़े और हम उच्चगुणवत्ता वाले जीवन जी सकें।
यहां, “E-पोस्टमॉर्टेम” की ओर से आपको सूचित किया जा रहा है कि धूम्रपान और शराब के सेवन से होने वाले खतरों को ठीक से समझने के लिए जेनेटिक टेस्टिंग की आवश्यकता हो सकती है। इससे न केवल लंग्स कैंसर की संभावना को पहचाना जा सकता है बल्कि इसे रोकने और उच्चगुणवत्ता वाले उपचार की योजना बनाने में भी मदद मिलती है। जेनेटिक टेस्टिंग के द्वारा हम अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य का ध्यान रख सकते हैं और टेस्टिंग से पहले से ही बच्चों में इसमें संक्रमण होने की संभावना को मिटा सकते हैं।
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