जापान ने अपने फुकुशिमा दाइची परमाणु ऊर्जा संयंत्र से निकलते अपशिष्ट जल को महासागर में छोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह कदम जापान में बौखलाहट और तनाव को बढ़ा रहा है। इस प्रक्रिया के बाद चीन ने जापान से आने वाले समुद्री आहार पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस प्रतिबंध के अधीन, सभी जलीय उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध रहेगा। दरअसल, समुद्री जल जिसका डिटोक्सिफिकेशन (प्रदूषणमुक्त करने) अपर अपशिष्टों को नमूना लेकर किया जाता है, उसे बंद होने से मुक्त करने के लिए ही जापान ने यह कदम उठाया है। इससे प्रशांत क्षेत्र की राजनीति में खींचखींचाहट नजर आ सकती है। जापानी अधिकारियों ने यह निर्णय स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा के जोखिम को देखते हुए लिया गया है। न्यूक्लियर प्लांट में राहत के लिए समुद्री जल पंप चालू किए गए हैं। लेकिन बात यह है कि यह सारे जलीय उत्पादों में भी रेडियोएक्टिव तत्व को शामिल कर सकता है। इसके परिणामस्वरूप जापानी मछुआरों ने इस योजना का विरोध किया है क्योंकि यह उनके प्राकृतिक संसाधनों में नुकसान पहुंचा सकता है। चीन और दक्षिण कोरिया ने भी इस मामले को राजनीतिक मुद्दा बनाया है। इसके चलते जापान के महावाणिज्य दूतावास के बाहर भी लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया है। ऐसा माना जाता है कि फुकुशिमा हादसे के बाद दुनिया भर में परमाणु ऊर्जा के प्रति नजरिया बदल गया है। कई देशों ने परमाणु ऊर्जा कार्यक्रमों की समीक्षा की है और कुछ ने उन्हें बंद करने का निर्णय लिया है।
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