चीन ने अपना नया आधिकारिक मैप जारी किया है, जिसमें भारत के अरुणाचल प्रदेश, अक्साई चिन, ताइवान, और विवादित दक्षिण चीन सागर को भी इसका हिस्सा बताया गया है। इसके बाद से चीन के विस्तारवादी मंसूबों पर कई देशों ने आपत्ति दर्ज की है। इनमें से फिलीपींस, मलेशिया, ताइवान, नेपाल, और वियतनाम भी शामिल हैं। मलेशिया ने इसके खिलाफ सीधे डिप्लोमेटिक प्रोटेस्ट किया है, जबकि चीन का दावा है कि वह ऐतिहासिक नक्शों के आधार पर यह मैप जारी किया है। चीन ने रूस के साथ भी विवादित द्वीप बोल्शोई उस्सुरीस्की को अपना बताया है, जबकि रूस का कहना है कि यह उनकी ज़मीन है। रूस और चीन के बीच बोल्शोई उस्सुरीस्की द्वीप पर वैमानिक द्वेष के मामले में ऐतिहासिक विवाद चल रहा है। इसके साथ ही, ताइवान भी इस मैप को अस्वीकार कर चुका है। यह ताइवान के लिए भारत के वर्तमान मापदंडों का खलनायक है। वैसे तो चीन हमेशा से अपनी खुद की राजनीतिक, आर्थिक और सामरिक प्रभुता को बढ़ाने के लिए टैरिटोरियल दावों को नवीनीकृत करता रहता है, लेकिन इस मौके पर यह दावा तथाकथित दुश्मन राष्ट्रों के साथ घिरे हुए है, जो इसे और भी विवादित बना देते हैं। चीन द्वारा जारी किए गए भू-मानचित्र को विश्व भर में आपत्ति उठाई जा रही है, जहां लोग चीन की विस्तारवादी नीति के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। इसमें चीन की दूसरे देशों के प्रति की आपातकालीन नीति की भी झलक दिख रही है। ऐसे में देखने को मिलता है कि क्या चीन की नवीनतम कदमों से संबंधित विवाद जल्द अंतिम समाधान तक पहुंच सकते हैं या यह अंतिम चुनौती का आरंभ मात्र है।
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