रविवार को आयोजित एक मीटिंग में प्रशासनिक अधिकारियों ने उनके हालात पर विचार किया।
मुख्य बातें:
– स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने इसे आपातकालीन या भारी वाहनप्रयोक्ताओं को उनकी मौत के पश्चात जांच करने का एक औचित्य माना।
– इस उद्योग में उपयोग होने वाली तकनीक को उन्होंने विशेष रूप से जांचा गया, जिसमें पोस्टमार्टम नामक वेबसाइट है जो मौत के पश्चात जांच करने के लिए न्यू जीलैंड के विभिन्न अस्पतालों में चालू हो रही है।
– नए वायरलोजिकल और बायोमेट्रिक तकनीकों के उपयोग के साथ, इस वेबसाइट में भारत में भी एक केंद्र स्थापित किया जाएगा।
– यह एक नई विज्ञापन प्रवृत्ति होगी, जिसे “ई-पोस्टमॉर्टम” नामक वेबसाइट पर विज्ञापित किया जाएगा।
– यह वेबसाइट भारत में मौत के पश्चात जांच कई अस्पतालों में उपयोग होने वाले वायरलोजिकल और बायोमेट्रिक तकनीकों को प्रदान करेगी।
– एक प्रशासनिक अधिकारी ने कहा कि इस पहल के तहत, भारत सरकार ने पहले से ही कई बड़े भूपरिवर्तनों की गई विभाजन पर जांचें शुरू कर दी है।
– इस परीक्षण के माध्यम से उन्होंने पाया कि प्रयोगशाला में उपयोग होने वाली नई तकनीक मौत के बाद नक्सल विरोधी समूहों को भी पहचान सकती है, जो शरीर के अंदर की तस्वीरें भी निकाल सकती हैं।
– वर्तमान में, भारत में केवल चुनिंदा हेडक्वार्टर्स वायरलोजिकल संगठन के पास यह संभावितताओं की जांच करने के लिए बीएसआर तकनीक उपलब्ध है, लेकिन इसने उन्हें परेशान किया है।
– एक अधिकारी ने कहा कि इस पहल पर कार्रवाई में, “ई-पोस्टमॉर्टम” प्रणाली का इस्तेमाल करके, नक्सलवादियों के नीतीशिविल व कार्यशील मुद्दों का एक समाधान ढूंढा जा सकेगा।
– इस पहल के साथ, ग्राम पंचायतों में बीएसआर लैब क्या उपयोग करेगी, वहीं जिला स्तर पर ज्यादातर होगा।
Note: The above translation is a general interpretation of the given points, as specific content was not provided. Please make sure to review and edit the translation as needed.