अमेरिका की बाइडन सरकार आगामी 1 अक्टूबर से शटडाउन लागू कर सकती है। इसके कारण अमेरिका में सभी गैर-जरूरी सेवाएं बंद हो जाएंगी। इस मामले में शटडाउन लगाने का फैसला अमेरिकी संसद की हाथी घोड़े के मुताबिक होगा। अगर संसद जरूरी बिलों के खर्च से जुड़ा बिल पास नहीं करती है या सरकार को अतिरिक्त कर्ज लेने की मंजूरी नहीं देती है, तो शटडाउन जारी रहेगा। इसका असर पूरे अमेरिका की इकोनॉमी पर पड़ेगा।
अमेरिकी सरकार के कर्मचारियों की सैलरी रुकेगी और जनता को सब्सिडी, छूट और सेवाएं भी बंद होंगी। इसके साथ ही, अमेरिका करीब 2 लाख करोड़ डॉलर के वाणिज्यिक बजट घाटे का सामना कर रहा है। यह घाटा कोविड-19 महामारी और अमेरिकी अर्थव्यवस्था में हो रही अपार संकट की वजह से हुआ है।
हालांकि, अमेरिकी सरकार के शटडाउन का शेयर बाजारों पर अभी तक कोई असर नहीं पड़ा है। शटडाउन अस्थायी होता है और उससे होने वाला आर्थिक व्यवधान भी अस्थायी होता है। यह अमेरिकी इतिहास में पहली बार नहीं है जब शटडाउन लगा है। 1980 के बाद से अब तक करीब 14 बार अमेरिका में शटडाउन लग चुका है। सबसे हालिया शटडाउन 2018-19 में लगा था, जो 35 दिन तक चला।
अमेरिकी सरकार शटडाउन के समय सेवा प्रदान करने वाले कर्मचारियों का संचालन करती है, जिससे जरूरी सेवाएं नहीं प्रदान की जा सकती हैं। यह शटडाउन जनता को असुविधा पहुंचाता है और आर्थिक व्यवस्था पर भी बुरा असर डालता है।
“इस बार अमेरिका की बाइडन सरकार के शटडाउन लगने की संभावना बनी है। यह शुरुआती मुद्दे के समाधान के लिए जिम्मेदार सरकारी अधिकारीयों के बीच विवाद को लेकर हो रही है। हमें उम्मीद है कि सरकार जल्द से जल्द इस मामले में समझौता करेगी और शटडाउन को रोकेगी, ताकि जनता को असुविधा न हो।” इसकी बजाय, शटडाउन बजट घटाने की प्रचलित चीज़ों में से एक हो जाता है, जोकि एक संकट समय में आर्थिक स्थिति को और भी ख़राब कर सकता है।