छठ पूजा 2023 का दूसरा दिन खरना कहलाता है। इस अवसर पर महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और छठी माता का प्रसाद तैयार करती हैं। खरना के दिन बनी गुड़ की खीर खाई जाती है और इसे मिट्टी के चूल्हे पर तैयार किया जाता है। व्रती महिलाएं इस प्रसाद को लेकर ग्रहण करती हैं और उसके बाद इसे बांटती हैं। इस दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है।
इस दिन छठ पूजा के बाद व्रती लोग नदी और घाटों पर जाते हैं और सूर्य को अर्घ्य देते हैं। व्रती महिलाएं छठी मैया के गीत भी गाती हैं। खरना के दिन जरूरतमंद लोगों को प्रसाद देना चाहिए। खरना का प्रसाद साफ सुथरे वस्त्र में बनाना चाहिए और तांबे के लौटे में ही अर्घ्य देना चाहिए। सफाई का ध्यान रखना चाहिए और हाथ धोते रहना चाहिए।
इस महापर्व की कथाओं के अनुसार छठ पूजा की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी। इस दौरान सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा को कर्ण ने शुरू किया था। एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीराम और माता सीता ने भी सूर्य की पूजा की थी। इसलिए आज के दिन भी छठ पूजा में सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा चली आ रही है।
यहां दर्शकों के लिए हम बता रहे हैं छठ पूजा 2023 के दूसरे दिन खरना के बारे में। खरना के दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और छठी माता का प्रसाद तैयार करती हैं। खरना का प्रसाद बने गुड़ की खीर को मिट्टी के चूल्हे पर तैयार किया जाता है। व्रती महिलाएं इसे लेती हैं और बांटती हैं। खरना के दिन भगवान सूर्य की पूजा भी की जाती है। इसके बाद व्रती लोग नदी और घाटों पर जाते हैं और सूर्य को अर्घ्य देते हैं। छठी मैया के गीत भी गाए जाते हैं। इस दिन जरूरतमंद लोगों को प्रसाद देने के लिए खरना का प्रसाद बनाना चाहिए और तांबे के लौटे में ही अर्घ्य देना चाहिए। सफाई का ध्यान रखना और हाथ धोते रहना चाहिए। बता दें कि छठ पूजा की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी और सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा को कर्ण ने शुरू किया था। भगवान श्रीराम और माता सीता भी सूर्य की पूजा की थी, जो हमें आज भी अपनानी चाहिए।
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