घर खरीदने वालों और किराए पर घर लेने वालों के ऊपर EMI का बोझ बढ़ रहा है। बंगलोर में घरेलू खरीददारों और किराए पर लेने वालों के ऊपर EMI (इकट्ठा की जाने वाली आतिरिक्त डिज़ाइनेट वस्तुओं के लिए उचित मूल्य या माडगढ़े वस्तुएं) का बोझ बढ़ रहा है। बढ़ती आबादी और व्यापारिक विकास की वजह से यह समस्या ज्यादातर नगरों में दिखाई दे रही है।
बंगलोर में लोगों की बहुतायत आज़ादी के कारण, ऐसे व्यक्ति भी हैं जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए नगर पालिका वैध कागज के बजाय बस पक्की जमीन के खरीद में रुकावट नहीं करेंगे। लोग अपनी मजबूरियों और माइंडसेट को ध्यान में रखते हुए बंगलोर में उच्च भूमि या मकान किराए पर लेने की व्यवस्था का सहारा लेते हैं।
बढ़ते घर खरीद लिये कीमतों ने व्यक्तियों को EMI के मामले में बहुत अधिक भार डाल दिया है, जिससे नये ग्राहकों को लोन की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
बंगलोर शहर में तेजी से बढ़ते बेहतरीन उद्यमी और उच्च वेतन कमाने वाले लोगों ने आवास के लिए किराया देने की डिमांड बढ़ा दी है। यहाँ के स्वयंसेवकों के बहुतायत समृद्धि गुणों के कारण, लोग सस्ते घरों के लिए दौड़ने लगे हैं।
बंगलोर ने भारत में सबसे महंगी किराये की खरीदारी बाजार की वृद्धि की है। घर खरीददारी और किराए पर लेने वाले लोगों के लिए सिक्योरिटी मनी की मांग ने उत्पन्न की है। किराए के द्वारा घर खरीदने वालों को चाहिए कि वह अत्यधिक संपत्ति का ध्यान रखें और समय समय पर EMI की जमा राशि का भुगतान करें।
उच्च मूल्य की आवास योजना में सिक्योरिटी मनी की मांग का बढ़ता दबाव है। लोग अपने सपनों को पूरा करने के लिए धन और आर्थिक अनुपात से कर्ज लेने में तत्पर हैं।
बंगलोर शहर को उपनगर करने वाली अपार चाहत के कारण यह सभी समाचार पत्रों और मीडिया के विषय का बना हुआ है। आवास खरीददारों को अपने व्यापार की पुनःर्विरामपूर्ति और धन निवेश करने के लिए सीएमआरटी की पर्थम पुरुषार्थताएँ बनाने का पूरे जीवन है। बंगलोर शहर भारत में सबसे महंगी रेंटल प्रॉपर्टी मार्केट बना हुआ है, जहाँ घर खरिददारों को बड़े पैमाने पर साझा कर ही रहना पड़ रहा है।
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