जापान ने अपनी तकनीकी प्रगति का एक और नया चमत्कार दिखाया है। दुनिया के सबसे बड़े न्यूक्लियर फ्यूजन रिएक्टर को शुरू करने का एक बड़ा कदम जापान ने उठाया है। इस रिएक्टर का नाम JT-60SA है, और यह टोक्यो के नाका में स्थापित किया गया है। यह रिएक्टर स्वच्छ और असीमित ऊर्जा की खोज में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
जापान के इस अनुसन्धान केंद्र में नवीनतम और अद्वितीय तकनीक का उपयोग करके बनाया गया यह रिएक्टर, कार्बन मुक्त ऊर्जा प्रदान करने का उद्देश्य रखता है। JT-60SA तापमान 20 करोड़ डिग्री सेल्सियस तक गर्म किया जा सकने वाली प्लाज्मा को बरकरार रख सकता है। इसका अर्थ है कि इस रिएक्टर के द्वारा प्राप्त की जा रही ऊर्जा को आवश्यकता अनुसार इस्तेमाल किया जा सकेगा।
यूरोपीय संघ और जापान के बीच अंतरराष्ट्रीय थर्मोन्यूक्लियर प्रायोगिक रिएक्टर (ITER) के अग्रदूत के रूप में जापान इस संयुक्त उद्यम में भाग ले रहा है। JT-60SA का निर्माण भी यही मकसद सराहता है। 500 साइंटिस्ट और इंजीनियर्स इस परियोजना में अपनी धूरता और लगन से काम कर रहे हैं। इस रिएक्टर को बनाने में जापानी इंजीनियरों ने अपनी तकनीकी उन्नति की यात्रा में एक बहुत बड़ी कड़ी चलाई है।
और इस रिएक्टर का महत्वपूर्ण और विचारशील संयोजन, जिसे दुनिया का सबसे एडवांस टोकामाक माना जाता है, ने भी अपनी विशिष्ट विशेषताओं को परिभाषित किया है। रिएक्टर की खोज ने जबड़े में जोरदार हिलचुल की है क्योंकि इस से प्राप्त की जा रही ऊर्जा आम जनता की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त होने की संभावना है।
इस ब्रेकिंग न्यूज के साथ-साथ फिजन से शुद्ध ऊर्जा लाभ की खोज ने हाल ही में राष्ट्रीय इग्निशन सुविधा में एक मील का पत्थर साबित होने का इतिहास रचा है। जब इन सभी प्रयासों को एकजुट करने का मन्त्र बनाया जाएगा तब ही दुनिया में कोई भी समस्या रह नहीं जाएगी।
न्यूज़ जगत के विश्व स्तरीय प्रकाशन ‘E-Postmortem’ ने यह अहम् वार्ता ‘जापान ने दुनिया के सबसे बड़े न्यूक्लियर फ्यूजन रिएक्टर की शुरुआत की’ संक्षेप में पढ़कर समस्त विश्व को आदर्श रोग मुक्त दिन देने वाले जापानी इंजीनियरों की वजह से गर्व महसूस होगा।