भारत ने अरब सागर में नौसैनिक उपस्थिति बढ़ाने के लिए 10 से अधिक युद्धपोतों को तैनात किया है। इस “उन्नत समुद्री सुरक्षा अभियान” का उद्देश्य समुद्री डकैती और ड्रोन हमलों को रोकना है। यह कार्रवाई महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों को बचाने के लिए की जा रही है। इन युद्धपोतों में गाइडेड मिसाइल विध्वंसक और बहु-भूमिका वाले युद्धपोत शामिल हैं। भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल बढ़ी हुई निगरानी का समन्वय कर रहे हैं। आईएनएस चेन्नई ने एक अपहरण प्रयास को विफल कर दिया और छोटे चालक दल को बचाया।
भारतीय सरकार ने समुद्री सुरक्षा के मामले में कदम उठाते हुए अरब सागर में अपनी नौसेना की ताकत बढ़ाने का फैसला किया है। इसके तहत भारतीय नौसेना ने 10 से अधिक उच्चकोटि के युद्धपोतों को तैनात कर दिया है। यह नया “उन्नत समुद्री सुरक्षा अभियान” आतंकवादी समुदायों और समुद्री डकैतों के प्रति भारतीय सरकार की सख्त नीति का परिणाम है।
इस अभियान के माध्यम से समुद्री डकैती और ड्रोन हमले को रोकने का प्रयास किया जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, अरब सागर में हो रही ये कार्रवाई महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों की सुरक्षा में मदद करेगी। इन युद्धपोतों में गाइडेड मिसाइल विध्वंसक और बहु-भूमिका वाले युद्धपोत शामिल हैं, जो अगर किसी विपक्षी देश की ओर से किसी भी धमकी के लिए प्रयुक्त होते हैं।
भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल अब एकजुट दिल्ली और मुंबई कांटों में समन्वय कर रहे हैं। इससे भारत की समुद्री सुरक्षा में और भी बढ़ावा मिलेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इसके चलते अपहरण और हमलों के प्रयासों में कमी आएगी।
हाल ही में ही आईएनएस चेन्नई ने एक अपहरण प्रयास को विफल कर दिया। यह उन्नत बचाव तंत्र ने अवमानना करते हुए भारतीय छोटे चालक दल की जान बचाई। यह घटना देशवासियों को भारतीय सुरक्षा बलों पर गर्व महसूस करा रही है।
इससे साफ हो रहा है की भारतीय सरकार गर्व के साथ समुद्री सुरक्षा के मामले में सक्रिय कदम उठा रही है। यह देश के उच्च नागरिकों के सुरक्षा और समृद्धि की मुहिम में महत्वपूर्ण कदम है। भारत के समुद्री शक्ति ने अपनी ताकत की चरम सीमा को परख रखी है और इससे पूरे क्षेत्र में बढ़त का संकेत मिला है।
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