कोलन कैंसर नामक गंभीर बीमारी का निरीक्षण सबसे उच्चतम महत्व रखने वाला है। यह बीमारी शुरू में बड़ी आंत में होती है और फिर बाद में लिंफ नोड्स और पूरे शरीर में फैल सकती है। कोलन में इन्फेक्शन हो जाने पर मलाशय में सूजन होती है। कोलन कैंसर के दौरान रोगी को पेट में दर्द, पेट की समस्या, वजन कम होना, थकान, खूनी मल त्याग, एनीमिया, दस्त या कब्ज की समस्या होती है। यदि ये लक्षण पाए जाएं तो उन्हें तुरंत चिकित्सीय सलाह लेनी चाहिए।
कोलोनोस्कोपी एक प्रक्रिया है जिसका उपयोग बड़ी आंत और मलाशय की जांच करने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया के द्वारा चिकित्सक शरीर के अंदर कोलन के किसी भी संक्रमण या ट्यूमर का पता लगा सकते हैं। इसे कराने के बाद अगर किसी को कोलन कैंसर या किसी अन्य संक्रमण की जांच की जरूरत होती है, तो इस जांच के बाद डॉक्टर सही इलाज सुझा सकते हैं।
इसके अलावा, कुछ खाद्य पदार्थ खाने से भी कोलन कैंसर का खतरा कम किया जा सकता है। लौंग, सेब, अलसी के बीज, और पपीता आपको कोलन कैंसर से बचा सकते हैं। इन खाद्य पदार्थों का नियमित रूप से सेवन करने से शरीर में कैंसर के विकास की संभावना कम हो जाती है।
अगर आप खुद को कोलन कैंसर से बचाना चाहते हैं, तो स्क्रीनिंग परीक्षण कराना जरूरी है। यह परीक्षण कोलन कैंसर के लक्षणों को पहचानने में मदद करता है, जिससे इस बीमारी को समय पर पहचानकर उचित इलाज किया जा सके। साथ ही, कोलन कैंसर से दूर रहने के लिए जोखिम कारकों से दूर रहना भी आवश्यक है।
जैसा कि हमने देखा, कोलन कैंसर बड़ी आंत में शुरू होने वाली गंभीर बीमारी है। उसमें पहले बड़ी आंत की वॉल में इन्फेक्शन होती है और फिर वह वातावरण में फैल सकती है। कोलन कैंसर के लक्षणों में पेट में दर्द, पेट की समस्या, वजन कम होना, थकान, खूनी मल त्याग, एनीमिया, दस्त या कब्ज हो सकती हैं। इसकी जांच के लिए कोलोनोस्कोपी नामक प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है। कुछ खाद्य पदार्थों को खाकर कोलन कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है और स्क्रीनिंग परीक्षण कराने के बाद सही इलाज का प्रारंभ किया जा सकता है। इसलिए, व्यक्ति को कोलन कैंसर से बचने के लिए स्क्रीनिंग परीक्षण करवाना चाहिए और जोखिम कारकों से दूर रहने का प्रयास करना चाहिए।
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