स्वीडन ने नाटो का 32वां सदस्य बनने के बाद रूस के लिए एक बड़ा झटका हुआ है। प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टीर्सन ने इसे एक स्वतंत्रता की जीत बताया है। नाटो के सचिव जनरल ने इस घटना को ऐतिहासिक घटना बताया और प्रशंसा की। रूस ने स्वीडन के नाटो में शामिल होने के खिलाफ चेतावनी दी है।
तुर्की ने भी स्वीडन को नाटो में शामिल करने के लिए कुछ धन और हथियारों की मदद की है। नाटो का मुख्य उद्देश्य सोवियत संघ के विस्तार को रोकना था और इससे चूकने के बाद सदस्यों की संख्या अब 32 हो गई है। स्वीडन और फिनलैंड भी नाटो में शामिल होने के प्रयास कर रहे थे।
यह निर्णय ऐतिहासिक महत्व का है, जिससे स्वीडन की रक्षा में मजबूती आएगी। इसके साथ ही रूस के लिए भी एक नई चुनौती पैदा हो गई है। नाटो के इस नए सदस्यता में और भी मजबूती और ताकत जुटाने की उम्मीद है।
इस घटना के बारे में नाटो की चर्चाओं की जारी है, और विशेषज्ञों का कहना है कि इससे एक नया राष्ट्रीय कक्षा का दायरा स्वीडन में खुल सकता है। इसके साथ ही रूस के साथ संबंधों में भी बदलाव की संभावना है।
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