बिहारशरीफ शहर में दो किशोरों को डेंगू या टायफॉयड के संक्रमण की जांच की जरूरत हुई। एक किशोर की जांच के बाद उसे डेंगू पॉजिटिव बताया गया और उसे इमरजेंसी वार्ड में भर्ती किया गया। दूसरे किशोरी की जांच के बाद उसे टायफॉयड बीमारी बताई गयी और उसे निजी क्लीनिक में इलाज किया गया। इससे प्रकट होता है कि विभाग ने डेंगू वार्ड नहीं बनायी और मरीजों को अलग रखने की व्यवस्था नहीं की है। चिकित्सकों ने सलाह दी है कि अगर डेंगू के लक्षण मिले तो जांच जरूर कराएं और दवा का पूरा कोर्स लें। डेंगू या टायफॉयड से संक्रमित होने की अवधि बरसात के मौसम में ज्यादा होती है। इसके साथ ही, गत वर्ष राजगीर में भी डेंगू संक्रमण की तबाही मची थी, जिसमें कुछ लोगों की मौत भी हुई थी। डेंगू के लक्षण में तेज बुखार, शरीर में दर्द, जी मिचलाना, उल्टी, लाल चकत्ते, भूख में कमी, सिरदर्द, पेट दर्द और खून आना शामिल हो सकते हैं। इससे बचाव के लिए लंबी बाजू की कमीज और पैंट पहनना चाहिए, मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए और घरों के आसपास जलजमाव को कम करना चाहिए।
राजगीर की इस घटना के बाद सरकार को जागरूक होना चाहिए। विभागों को जल्द से जल्द संक्रमण की जांच करने की व्यवस्था करनी चाहिए और दवा व् टीकाकरण का प्रचार प्रसार करना चाहिए। विभिन्न क्षेत्रों में डेंगू के मामलों में वृद्धि के बारे में चिंताजनक रिपोर्टें भी मिली हैं। ऐसे समय पर सरकार को जनता के साथ सहयोग करना चाहिए। पर्यावरण शुद्ध और स्वच्छ रखना चाहिए, जिससे विभाजनकारी मच्छर पालन को कम किया जा सके।
आखिरकार, डेंगू और टायफॉयड संक्रमण को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए क्योंकि ये जानलेवा हो सकता है। इससे पूरी जनता की सुरक्षा हो सकेगी और स्वास्थ्य विभाग की प्रगति भी होगी। लोगों को ये समझना चाहिए कि स्वस्थ्य होना उत्तम है और उन्हें जागरूक रहना चाहिए। बिहारशरीफ और राजगीर की इस मामले पर सख्ती से विचार करने की जरूरत है और सुरक्षा का पूरा ध्यान रखने की जरूरत है। प्रशासन को भी संक्रमण के खिलाफ कार्यवाही में अधिकतम जल्दी दिखानी चाहिए ताकि आनेवाले टाइम में जादा मुसीबतें आना रोकी जा सकें।
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