काला चश्मा पहनने से आईफ्लू की रोकथाम नहीं होती है। अक्सर लोग इस गलतफहमी में रहते हैं कि आंखों को बचाने के लिए काला चश्मा पहनना ही काफी होगा. लेकिन भारतीय नेत्यांत्रित रोगनिदान और प्रतिक्रियात्मक साधन संस्थान (अभिनव), गुरुग्राम, के विशेषज्ञ डॉक्टर अमिताभ पंडे ने अपनी रिसर्च के दौरान बताया है कि काले चश्मों पहनने और आईफ्लू के फैलने के बीच कोई सीधा सम्बंध नहीं है.
आईफ्लू का मुख्य कारण यदि किसी आईफ्लू संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए तो ही उसे यह भयंकर बीमारी होती है. प्रतिक्रियात्मक साधनों की रक्षा क्षमता थोड़ी कम होती है इसलिए आसपास मौजूद संक्रमित व्यक्ति के पपीते, कपड़े या चिढ़ियों से यह संक्रमित होती है.
इसके अलावा, काले चश्मों को छूने से भी आईफ्लू का संक्रमण हो सकता है. अगर किसी मरीज की आई फ्लू के व्यक्ति द्वारा उसके चश्मे को स्पर्श किया जाए तो भी इस रोग का संक्रमण हो सकता है. इसलिए सलाह दी जाती है कि आईफ्लू संक्रमित व्यक्ति के चश्मे का उपयोग नहीं करना चाहिए.
इसके साथ ही, आईफ्लू का संक्रमण रिसाव के संपर्क से भी हो सकता है. जब व्यक्ति इसके कारण बीमार होता है तो उसे संक्रमन के एक सप्ताह तक या इससे पहले चश्मा लगाने से इसका कारण रिस्क काफी हद तक कम हो जाता है. यह हालांकि यह महत्वपूर्ण है कि डॉक्टरों द्वारा आईफलू होने पर काला चश्मा पहनने की सलाह दी जाती है.
साथ ही, काला रंग आँखों के धूल-मिट्टी से बचाने में मदद करता है. अगर किसी के पास धूल-मिट्टी के चलते ज्यादा आंखों पर तकलीफ हो रही हो, तो डॉक्टरों द्वारा काला चश्मा सुझाया जाता है.
संक्षेप में कहें तो, आईफ्लू संक्रमण से रोकथाम के लिए, काला चश्मा पहनाने का बहुत काम रहता है. इसे भी याद रखना चाहिए कि बिना डॉक्टरों की सलाह और परामर्श के आपको कोई भी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए।
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