“रूस ने अपनी 79वीं ‘विक्ट्री डे’ सैन्य परेड की”
रूस ने अपनी 79वीं ‘विक्ट्री डे’ सैन्य परेड की, जिसमें रूसी सैनिकों ने हथियारों के साथ होटी दिखाई। इस परेड के माध्यम से रूस ने जर्मनी पर जीत का जश्न मनाने का एलान किया है। रूस यूक्रेन के साथ युद्ध में समानताएं स्थापित करने का भी इच्छुक है।
रूसी राष्ट्रपति ने सशस्त्र बलों के कमांडर-इन-चीफ के तौर पर परेड का निरीक्षण किया। परेड में यार्स मोबाइल रणनीतिक मिसाइल सिस्टम, इस्कंदर एम ऑपरेशनल टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम और एस-400 एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम लॉन्च हुआ। रूस के रक्षा मंत्री ने कहा कि देश की परमाणु ताकतें हमेशा युद्ध के लिए तैयार हैं।
यूक्रेन में रूसी सेनाओं की बढ़त हो रही है, जिससे गर्मियों में हमले की उम्मीद है। रूस ने अप्रैल में 61 बिलियन डॉलर के पैकेज को अमेरिकी मंजूरी प्राप्त किया है, जिससे समय महत्वपूर्ण है।
इस परेड ने रूस की रक्षा ताकतों को और भी मजबूत कर दिया है, जिसका सीधा मसूदा यूक्रेन के साथ मानवाधिकारों की उल्लंघन के मामले में खतरा है। इससे पुराने दोस्तों के बीच तनाव बढ़ सकता है जिसका परिणाम अलगाव हो सकता है।
यह परेड खुद भारत के लिए भी एक संकेत है क्योंकि रूस ने हाल ही में भारत के सप्लाई और वेपन्स साइल्स के लिए एक नए मौसम की घोषणा की है। इससे भारत के रक्षा ताकतों के विस्तार की उम्मीदें भी बन रही हैं।
इस परेड ने रूस के संकेतिक साख में एक नया चेहरा परिचित करवाया है, जिससे स्पष्ट है कि यूक्रेन जैसे देशों के साथ रूस का संबंध कितना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। ‘विक्ट्री डे’ परेड ने रूस की संघर्ष और विजय की कहानी को फिर से समर्थित किया है और उसकी ताकत को दुनिया के सामने रख दिया है।
यहाँ तक कि इस परेड के मुख्य उद्देश्यों में से एक यह भी शामिल था कि रूस युद्ध की साजिशों और खतरों के खिलाफ सजग रहेगा। इससे स्पष्ट है कि रूस अपनी सशस्त्र ताकतों के माध्यम से दुनिया में अपनी हेरफेर और शक्ति को पुनर्वितरित करने के लिए तैयार है।
इस परेड का ‘विक्ट्री डे’ के खिलाफ युद्ध की पराकाष्ठा में एक नया मोड जोड़ने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा सकता है, जिससे अब तक के युद्ध के इतिहास में नई एक्सल कंफ्रेंस की एक नई सरगर्मी जुटा सकती है।
इस परेड ने रूस के गलत कामों के खिलाफ एक सही संदेश भेजा है और उसकी युद्ध और सामरिक पक्षों की मजबूती को दिखाया है। इससे प्रशांति में साझेदारी के साथ उम्मीद है कि रूस की सामरिक शक्ति संबंधों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इस परेड का मतलब है कि चलते चलते शांति और समरसता की दिशा में भी राह दिखा रहा है।
आखिरकार, इस परेड का एक उद्देश्य आगे बढ़ने के संकेट और पिछड़ने के भय को कम करना भी था, जिससे न केवल राष्ट्रीय स्तिथि में हलचल मिल सकती है, बल्कि दुनिया के लिए भी एक सकारात्मक संकेत हो सकता है। ‘विक्ट्री डे’ परेड ने दुनिया को एक मजबूत और संवेदनशील रूस की ओर ध्यान आकर्षित किया है।
इस तरह, रूस की ‘विक्ट्री डे’ परेड ने भारत और यूक्रेन जैस
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