चंद्रयान-3 प्रक्षेपण कार्यक्रम आगे बढ़ रहा है और यह चांद के आखिरी ऑर्बिट में स्थित हो चुका है। इसका मतलब है कि यह चंद्र तक सिर्फ 150 किलोमीटर की दूरी पर पहुंच चुका है। इससे पहले प्रोप्लशन मॉड्यूल से अलग हो चुका है और अब इसकी लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
यह यातायात मोड्यूल 14 जुलाई को लांच किया गया था और अपने मंगल यात्रा की शुरुआत में परमाणु ऊर्जा संघटन चयनित करने के बाद मंगल की कक्षा में प्रवेश किया था। चंद्रयान-3 ने अपने लॉन्चिंग के खत्म होने के ठीक पांच दिन बाद चांद की पहली तस्वीरें जारी की थीं। इसके बाद, चंद्रयान-3 ने चार बार अपनी ऑर्बिट बदली है।
अब जब चंद्रयान-3 चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा, तो यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण होगा। लैंडिंग की अनुमानित तारीख 23 अगस्त है। यदि यह निहित मार्ग पर रहता है, तो यह भारत के लिए एक बड़ी सफलता मानी जाएगी। चंद्रयान-3 का मुख्य उद्देश्य चांद की सतह के बारे में विस्तृत जानकारी और वैज्ञानिक मानदंडों के आधार पर अन्य कक्षाओं के प्रकाश सामरिकों की उोपयोगिता की जांच करना है। कक्षाओं की अवधारणा के साथ मानकों की पुष्टि करने के लिए इस तकनीकी प्रोडक्ट में योगदान की जाएगी।
चंद्रयान-3 के इस मुख्याधिकारी परियोजना के अभ्यर्थना में एक सरकारी वैज्ञानिक और टेक्नोलॉजीज कंट्रीब्यूशन के साथ, चंद्रयान-3 एक सफल परीक्षा हो रहा है। चंद्रयान-3 प्रोग्राम भारत के हर नागरिक के लिए इस बात का प्रतीक है कि हम प्रौद्योगिकी में आद्यता प्राप्त कर रहे हैं और विज्ञान के क्षेत्र में भी उभरते हुए देश की भूमिका को मजबूत बना रहे हैं। यह चंद्रयान-3 का सफल प्रक्षेपण यात्रा का एक नया उच्चारण है और यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान में योगदान के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
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