कोटा में टेस्ट और परीक्षाओं के चलते छात्र आत्महत्या कर रहे हैं। इस समस्या के पीछे किस बात का दबाव बन रहा है? कोटा में पिछले सप्ताह में दो किशोरों ने आत्महत्या कर दी। जवाब देने के लिए जिला प्रशासन ने कोचिंग में परीक्षाओं को रोकने का आदेश दिया है। क्या इस समस्या का हल निकल सकेगा? छात्रों को समय-समय पर मानसिक स्वास्थ्य के लिए सपोर्ट देने की आवश्यकता है।
कोटा में टेस्ट और परीक्षाओं की मार के कारण कई छात्र आत्महत्या की बाध्यता में आ गए हैं। पिछले सप्ताह में, इस खतरनाक समस्या की वजह से दो किशोरों ने अपनी जान गंवा दी है। कोचिंग केंद्रों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए यह एक गंभीर मुद्दा बन चुका है जिसे आजकल सभी चर्चा कर रहे हैं।
जब छात्र शिक्षा के लिए इतनी मेहनत करते हैं तो उन्हें इस तनाव की वजह से दुख झेलने की जरूरत नहीं है। छात्रों को उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए समर्थन प्राप्त करने की आवश्यकता है ताकि वे इस परीक्षा के दबाव से बाहर निकल सकें।
जिला प्रशासन ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए कोचिंग केंद्रों में परीक्षाओं को रोकने का आदेश दिया है। ये आदेश सभी कोचिंग संस्थानों को लागू होगा और यहां इस परीक्षा के लिए विशेष तैयारी करने वाले छात्रों का जो दबाव था, वो कम हो जाएगा।
छात्रों को सही दिशा में गाइड करने और उनके मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए सरकार को भी इस मुद्दे को ध्यान में रखना चाहिए। वे छात्रों के सामरिक अभ्यास के साथ-साथ उनका दिमाग भी तंदुरुस्त रखने में मदद करने के लिए कुछ नई नीतियों के गठन पर विचार कर सकते हैं।
कोचिंग संस्थाओं का प्रभाव और दबाव कम करने के लिए सरकार को कानूनी कदम उठाने चाहिए। इससे छात्र इनस्टीट्यूट्स में पढ़ाई के साथ ही अच्छे वातावरण में भी रहेंगे।
इस चुनौतीपूर्ण सिटुएशन में छात्रों की सुरक्षा के लिए कोटा में नई नीति का गठन करना जरूरी है। समाज में इस समस्या के खिलाफ जागरूकता फैलाने की जरूरत है कि यह समस्या एक संजीवनी नहीं है, बल्कि इसका सही समाधान मौजूद है। छात्रों को उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखना चाहिए और सरकार को उनकी सुरक्षा और सहयोग का ध्यान देना चाहिए।