1996 में भारत को पहली बार मिस वर्ल्ड की मेजबानी मिली थी जिससे कर्नाटक में आंदोलन शुरू हुए थे। इस घटना ने देश में बवाल खड़ा कर दिया था। फेमिनिस्ट महिलाओं ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम महिलाओं को नीचा दिखाने की कोशिश होती है और उन्होंने इसके खिलाफ प्रदर्शन किया।
इस घटना ने समाज में बड़ी चर्चा उत्पन्न की और कुछ लोगों ने इसका विरोध किया। उनका मानना था कि इस तरह के कार्यक्रम से समाज की संस्कृति और सभ्यता पर खतरा है। कर्नाटक किसान संघ के अध्यक्ष ने भी मिस वर्ल्ड को पूंजीवादी ताकतों का कार्यक्रम बताया और आयोजकों को धमकी दी।
इस विवाद से प्रदर्शन इतना उग्र हो गया कि एक प्रतियोगिता को बेंगलुरु के बजाय सेशेल्स में कराया गया। इस घटना ने मिस वर्ल्ड कार्यक्रम की सार्वजनिकता पर भी प्रभाव डाला।
इस घटना से सामाजिक मीडिया में भी बहस शुरू हो गई और लोगों ने इसके गम्भीरता को उठाया। कुछ ने इसे मनोरंजन का एक अच्छा प्लेटफार्म माना जबकि कुछ ने इसे महिलाओं के अधिकारों की हनन समझा।
इस दौरान संगठन महिलाओं के स्थिति और समाज में उनके सम्मान के बारे में भी चर्चा कर रहे हैं। कुछ लोगों ने इसे सिर्फ एक मनोरंजन का माध्यम समझकर गर्माया है जबकि कुछ इसके महत्व को समझने की कोशिश कर रहे हैं।
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