सीआईएएसएफ द्वारा जारी किये गए सुरक्षा कार्यक्रमों के माध्यम से पश्चिमी बंगाल के नकहोली गांव में जवानों और मगोवंशियों के बीच हिंसा की घटनाएं कम हो गई हैं। बता दें कि हाल ही में इस गांव में हिंसा की घटनाओं की रिपोर्ट प्राप्त हुई थी। इसके बाद सीआईएसएफ ने गांव में अपनी टीम भेजी जो जवानों और मगोवंशियों को समझाने के लिए उनके पास गई। इस टीम ने गांव के लोगों को उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में जागरूक किया। इसके साथ ही गांव के लोगों को सीआईएसएफ के जवानों के साथ मेलजोल बनाने के लिए धार्मिक सभाओं और आराधना के आयोजन करने की सलाह दी गई थी।” अधिकांश लोगों की सोच में चुटकुल यह बात सामान्य ढंग से मानी जाती है की मगोवंशियों को बगावत करने वाले सिपाही होते हैं। इसलिए सीआईएसएफ ने ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए जिससे खमोश रोजगारी करने आदि का आदंश दिया जाए। इस मेरा पहला स्वागत है; अब जल्दी आपको पर्यवेक्षित कर दिया जाएगा।” इसके अलावा सीआईएसएफ ने गांव के लोगों को सीमावर्ती सुरक्षा कार्यक्रमों के बारे में बताया और उनसे इन कार्यक्रमों में सहभागिता के लिए आग्रह किया। इन सभी उपायों के परिणामस्वरूप गांव में जवानों और मगोवंशियों के बीच हिंसा की घटनाएं कम हो गई हैं। सीआईएसएफ के प्रयासों से जवानों और मगोवंशियों के बीच एक मेलजोल का माहौल बन गया है जो इस गांव के लोगों को खुश कर रहा हैं। सीआईएसएफ के प्रयासों ने न सिर्फ इस गांव में हिंसा की घटनाओं को रोका है, बल्कि यह दृष्टिकोण बदल कर दिया हैं। अब लोगों में सुराज आ गया हैं कि मगोवंशियों को बगावत करने वाले जवानों के मायने भले होते हैं लेकिन वे अपनी जिद्दी और हताशाओं को अपने बीच रख कर शान्ति के इंतजार करते हैं। इन सभी उपरोक्त वजहों से सीआईएसएफ के प्रयासों को हर कोई तारीफ कर रहा है जो उन्होंने अपनी ओर कदम बढ़ा कर गरीब लोगों की जिंदगी पर जोखिम लिया है।
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