भारत-मालदीव संबंधों में तत्पर दृष्टिकोण। मालदीव के राष्ट्रपति ने अपने सैन्य कर्मियों को वापस बुलाने का आदेश दिया। इसके चलते भारतीय सरकार ने इस स्थिति पर चर्चा की है। पिछले हफ्ते में चीनी सेना के मालदीव यात्रा के बाद मालदीव की भारत पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से उपाय घोषित किए गए थे।
मालदीव ने मोनग्षोवर द्वीप के अपने केवलियों को वापस बुलाने का आदेश दिया है। यह एक महत्वपूर्ण घोषणा है क्योंकि इसे माना जा रहा है कि मालदीव भारत की भूमिका में गहराई बहुतायत बढ़ाएगा।
भारतीय और मालदीव सरकारों ने इस स्थिति पर चर्चा की है और दोनों देशों ने सहयोग का संचालन और विचार-विमर्श को बढ़ाने का निर्णय लिया है। विदेश मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि दोनों देशों की सहयोग और मित्रता को मजबूती दी जाएगी और इससे विश्वास बढ़ेगा।
मालदीव के राष्ट्रपति ने अपने देश के सैन्य कर्मियों को वापस बुलाने के फैसले का एलान किया था, जो विशेष रूप से भारतीय सैनिकों के अधिकार में बदलाव ला सकता है। यह निश्चित रूप से मालदीव की चीनी सेना के प्रभाव से अलग होकर भारत की पकड़ को स्थायी बना सकता है।
माले में हुई एक उच्च स्तरीय कोर ग्रुप की पहली बैठक में भारतीय और मालदीवी अधिकारियों ने इस मामले पर चर्चा की है। दोनों देशों के बीच सहयोग के मुद्दों पर गंभीर विचार-विमर्श किया गया है।
चीनी सेना के मालदीव यात्रा के बाद मालदीव ने अपने अधीनस्थ राष्ट्रों की संख्या कम करने का निर्णय लिया है, यह उनकी भारत की निर्भरता को कम करने के उद्देश्यों के साथ-साथ मालदीव के संप्रभाव को भी बढ़ा सकता है। इसके साथ ही, भारत और मालदीव के बीच अधिक सहयोग के मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया है, जो इन दोनों देशों के रिश्तों को और गहराने का संकेत है।
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