एचपीवी टीका लगवाने से 9 से 14 साल की लड़कियों को 97% तक बीमारी से बचाया जा सकता है, यह बताया गया है। एक नई अध्ययन में, इस टीके का उपयोग करने से हाइरिस्क लड़कियों के लिए काफी लाभदायक साबित हुआ है। एचपीवी वायरस पर आधारित सर्वाइकल कैंसर का मुख्य कारण माना जाता है। सरकार इस मामले में गंभीरता से जुटी हुई है और लड़कियों के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए कई योजनाएं चला रही है।
यह एक बेहद महत्वपूर्ण तरीका है जिसके माध्यम से युवा लड़कियों को संक्रमण और कैंसर से बचाया जा सकता है। यह वायरस गाइनीकॉलॉजिस्ट्स द्वारा दिए गए आंकड़ों से भी पुष्टि किए गए हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक, शहरी क्षेत्रों की बढ़ती आबादी के कारण इस वायरस के संक्रमण का खतरा बढ़ गया है।
सरकारी वैज्ञानिकों द्वारा दूरस्थ स्थानों तक एचपीवी टीके के पहुंच का कार्यक्रम चलाया जाता है। इसे स्कूलों और केंद्रीय पुस्तकालयों में वितरित किया जाता है ताकि किसी भी बाध्यकारी कारक के कारण लड़कियों की सुरक्षा पर कोई दबाव न पड़ सके। इस कार्यक्रम में महिला कर्मचारियों की संख्या बड़ाई गई है, ताकि लड़कियों की जानकारी और उनकी समर्पण कर व आश्वासन देने के लिए किसी भी भ्रष्टाचार के दबाव का शंका न हो।
हालांकि, इस कार्यक्रम की सफलता के बावजूद, कुछ लोग इसे अनुपयुक्त और संवेदनशील मान रहे हैं। वे मानते हैं कि यह टीका लड़कियों को संभोग की सुविधा से वंचित कर रहा है। इस विषय पर सरकारी वैज्ञानिक उपन्यासों का अन्वेषण करने के बाद यह सिद्ध हुआ है कि, लड़कियों की सेक्सुअल जिज्ञासा पर कोई रास्ता नहीं बना हुआ है।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, इस टीके के विकास को लेकर बड़ी देशों ने अपनी मदद की है। उन्होंने इस विषय में पुरे विश्व को जागरूक करने का कार्य संपन्न किया है और अपना समर्थन प्रदान किया है। ऐसा माना जा रहा है कि, इस आंदोलन के सफल होने से हर वर्ष मिलियनों महिलाएं अपनी जान और स्वास्थ्य को सुरक्षित रख पाएंगी।