अन्नामलाई ने टमिलनाडु राज्य में सत्ताधारी DMK सरकार के खिलाफ तीखा हमला किया है। देश की प्रमुख राजनीतिक पार्टी भाजपा के राज्य अध्यक्ष अन्नामलाई ने हाल ही में एक वाद-विवादित बयान देने वाले उदयनिधि स्टालिन पर निशाना साधा है। इस बात का मतलब है कि भाजपा ने इस बयान के बहाने DMK पार्टी को घेर लिया है।
अन्नामलाई ने कहा है कि DMK में ‘डी’ का मतलब ‘डेंगू’, ‘एम’ का मतलब ‘मलेरिया’ और ‘के’ का मतलब है ‘कोसु’। इस बयान के द्वारा वे DMK प्रमुख उदयनिधि स्टालिन के माध्यम से सनातन धर्म पर निशाना साध रहे हैं। यहां तक कि वे कह रहे हैं कि इस पार्टी के कुछ सपोर्टर अपनी माँ को खा जाने के लिए तैयार हैं।
गत कुछ समय में ही तमिलनाडु की राजनीति में तमाम घमासान हो रहा है। बीजेपी के इस नए हमले के बाद सियासी वातावरण में भी हलचल मच गई है। तमिलनाडु में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में भी इस मामले को लेकर अस्थायी विवादास्पद विचारधारा उभरी है।
इस बीजेपी अध्यक्ष के बयान के बाद DMK पार्टी के समर्थक भी इस विवाद से अत्यंत परेशान हैं। वे इस बयान को मनमानी और विचारों की अपमानिता के रूप में देख रहे हैं। उन्होंने इस तरह के बयान पर गंभीर रूप से आपत्ति जताई है और तमिलनाडु की जनता से भी निवेदन किया है कि वे इस तरह के बयानों को नजरअंदाज न करें।
यह घटना दिखाती है कि भारतीय राजनीति में हर एक टिप्पणी बड़े हलचल का कारण बनने के लिए काफी है। लोगों के बीच इसी मुद्दे को लेकर उत्साह देखा गया है। इसके अलावा, ये घटना भाजपा और DMK के बीच नई तनाव सृजित कर सकती है और राजनीतिक माहौल में नई उच्चताएं प्राप्त कर सकती है।
वाद-विवाद की इस सीधेसी से देश के राजनीतिक वातावरण में वक्रता उत्पन्न हो जाने की संभावना है। इसे फटकारा और बहुमत की चुनौती के रूप में भी देखा जा सकता है। इसी बात को देखते हुए अब सभी आंकड़ों का गणना करने की तैयारी शुरू कर दी गई है।
अब यह देखना होगा कि इस वाद-विवाद को सरकार और विपक्ष में किस तरह की सुलझाव तय की जाती है। यह भी हो सकता है कि इस मामले के बाद दोनों पक्षों के बीच तनाव बढ़ जाए और नई जस्तियों को पैदा करे। अपने ही समर्थकों के बायों में बदलाव भी देखने को मिल सकता है।
यह हमला भारतीय राजनीति को जहां एक तरफ भटका सकता है, वहीं दूसरी तरफ इसे सत्ताधारी DMK पार्टी के बारे में नया चिंतन करने का भी मौका देगा। बीजेपी के इस हमले के बाद DMK पार्टी के सांसद और मंत्रियों को प्रश्नों का सामना करना पड़ेगा। इसके परिणामस्वरूप, सरकार और मुख्यमंत्री को अब आगे की कड़ी का भी इंतजार करना होगा।
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