बुखार के मरीजों की बढ़ती कतार के साथ कुछ निजी अस्पतालों ने ”कारोबार” शुरू कर दिया है। इन अस्पतालों में भी बड़ी तादाद में बुखार के मरीज जांच कराने पहुंच रहे हैं। यहां मरीजों में डेंगू बताकर भर्ती किया जा रहा है, लेकिन यह अस्पताल स्वास्थ्य विभाग के पास रिकॉर्ड नहीं भेज रहे। स्वास्थ्य विभाग ऐसे अस्पतालों को चिन्हित करने और कार्रवाई की तैयारी में जुट गया है।
जबकि जिले में डेंगू के मरीजों की तादाद अब साढ़े तीन सौ हो गई है। सभी मरीज मेडिकल कॉलेज और सरकारी अस्पतालों से हुई एलाइजा जांच में पाॅजिटिव मिले थे, लेकिन अभी तक स्वास्थ्य विभाग में पंजीकृत जिले के किसी भी निजी अस्पताल ने डेंगू मरीज का रिकॉर्ड दर्ज नहीं कराया है। अभी रडार पर दो निजी अस्पताल और एक निजी लैब हैं, जिन्हें स्वास्थ्य विभाग ने खास ध्यान में लिया है।
स्वास्थ्य विभाग ने अब ऐसे निजी अस्पतालों की कुंडली तैयार करने की कवायद शुरू कर दी है। चेतावनी देते हुए कहा जा रहा है कि नोटिस के बावजूद ये मनमानी जारी रखने वाले अस्पतालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से सभी निजी मेडिकल कॉलेज, अस्पतालों और लैब को संचारी रोग नियंत्रण के साथ ही दिशानिर्देश हैं कि डेंगू, मलेरिया, स्वाइन फ्लू, जापानी बुखार के मरीज मिलने पर तत्काल रिकॉर्ड सीएमओ कार्यालय को भेजना होगा। अगर मरीज या उनका तीमारदार डेंगू बताकर भर्ती किए जाने की बात बताते हैं, तो उसे नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
इसके साथ ही सभी स्वास्थ्य संचार संस्थानों से अपील की गई है कि वे महिलाओं और बच्चों को बुखार और अन्य संक्रमणों से बचाने के लिए जागरूकता बढ़ाएं। इससे अस्पतालों की ज़रूरत कम होगी और उनका ध्यान मुख्यतः गंभीर मरीजों पर रहेगा।
स्वास्थ्य विभाग ने इस मुद्दे पर कार्रवाई में तेजी लाने के लिए नेशनल कंट्रोल रूम का गठन किया है। शहर में बढ़ते डेंगू मरीजों के लिए यह बहुत ही अनमोल साधन साबित हो गया है, जिससे सरकारी अस्पताल हाई भर्ती वाले बुखार मरीजों को आराम से समय पर देख पा रहें हैं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से मांग की जा रही है कि सभी शौचालयों और फेंकों को एनओसीएल सेट अप कर दिया जाए।
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