बरसात मौसम में अस्थमा लोगों के लिए खतरनाक
ग्रीषम ऋतु के बाद अब मानसून के मौसम की बारिशों का आगमन हो रहा है। बरसात के मौसम का एक खास असर अस्थमा जैसी खतरनाक बीमारियों के फैलने पर पड़ता है। अस्थमा एक अवसादी रोग है जिसमें श्वास की नलिकाओं में सूखा पनपना हो जाता है। इसके कारण रोगी को सांस लेने में काफी समस्या होती है। अस्थमा के मरीजों को रात को नींद में भी परेशानियां होती हैं और ऐसे मौसम में उनकी समस्याएं और भी ख़राब हो जाती हैं।
यदि किसी को अस्थमा है, तो वह ब्रोंकोस्पाजम और बलगम के लक्षणों का ध्यान रख सकता है। रोगी खासतौर पर रात में श्वास की नलिकाओं में बलगम की समस्या से परेशान हो सकता है। इसके अलावा, किसी भी ध्वंस पदार्थ या एलर्जी के संक्रमण से भी अस्थमा हो सकता है। इन सभी कारणों से मस्तिष्क का मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है।
इसमें मानसून का मौसम, ठंडा वातावरण और नमी भी अस्थमा को बढ़ा सकता है। इन मौसमी परिस्थितियों में, हमारे शरीर के अंग काफी संतुलित रहते हैं लेकिन बरसात के मौसम में इसका असर श्वास नलिका से जुड़े मरीजों पर अधिक होता है। इस वजह से अस्थमा से पीड़ित लोग ठंडा मौसम और नमी के कारण ज्यादा परेशान होते हैं।
यह बात सभी के लिए महत्वपूर्ण होती है कि वे अपने खान-पान का ख़ास ध्यान रखें। अस्थमा से बचने के लिए, अधिकतर लोग सोचते हैं कि उन्हें यूके में मिलने वाली दवाइयां ही लेनी चाहिए। लेकिन इसके अलावा गर्म खाद्य पदार्थों का सेवन, ताजे फल और सब्जियों का सेवन, और भाप लेना भी अस्थमा से बचने के लिए फायदेमंद साबित होता है।
अस्थमा से बचने के लिए यह भी जरूरी है कि शरीर में साफ़-सफाई का ध्यान रखें और धुम्रपान से बचें। यदि आपको इस बात की जानकारी हो कि कैसे धूम्रपान और प्रदूषण कम किया जा सकता है, तो इसका भी अस्थमा पर पूरा सहायक प्रभाव पड़ता है।
इन सभी सूचनाओं को हरिभूमि की पुष्टि नहीं करती है और हमारे पठाकों को सलाह देती है कि पहले उन्हें विशेषज्ञ से संपर्क करें और फिर कोई भी फैसला लें।
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